जिनसे थी आशा, उन्होने बदला पासा !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट  , लोकसभा चुनाव के बीच उत्तराखंड कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। दअरसल कांग्रेस हाईकमान को जिन नेताओं से आस थी आज वो नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैँ। चुनावी दंगल के बीच एकाएक पार्टी छोड़ रहे नेताओँ से पार्टी को नुकसान हो सकता है। बता दें कि उत्तराखंड कांग्रेस को लगने वाले झटकों की शुरुआत 28 जनवरी को पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत के त्यागपत्र के साथ हुई थी। इसके बाद आठ मार्च को पौड़ी से पिछली बार लोकसभा चुनाव लड़े मनीष खंडूड़ी ने इस सिलसिले को आगे बढ़ाया। तब से विधायक राजेंद्र भंडारीपूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवाणमालचंदधन सिंह नेगी और पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहीं लक्ष्मी राणा और अनुकृति गुसाईं भी कांग्रेस का साथ छोड़ चुकी हैं। एक के बाद एक कांग्रेस के गिर रहे विकेट से पार्टी के शीर्ष नेताओं की चिंता बढ़ गई है। लगातार नेताओं के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस नेतृत्व टेंशन में है, इसी टेंशन के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के एक बयान ने हाईकमान की मुश्किलें और बढ़ा दी है। दअरसल कांग्रेस वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस सुस्त हो गई है और कांग्रेस आलसी हो गई है. मगरउनके साथ आए गठबंधन के लोग उनको जगा रहे हैं. कह रहे हैं कि उठोजागोलड़ो और जीतो…वहीं हरीश रावत के इस बयान ने भाजपा को बैठे बिठाए एक मुद्दा दे दिया। भाजपा का दावा है कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही हार स्वीकार कर ली है। सवाल ये है कि आखिर कांग्रेस का बिखरता कुनबा और आलसी कार्यकर्ताओं के सहारे क्या कांग्रेस 2024 का चुनावी दंगल फतह कर पाएगी 

 

 

 देवभूमि उत्तराखंड में 19 अप्रैल को होने वाले मतदान से पहले उत्तराखंड की राजनीति में दलबदल का खेल शुरू हो गया है। दअरसल एक के बाद एक कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दलों के नेता भाजपा का दामन थाम रहे हैं। आलम ये है कि गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के इकलौते विधायक राजेंद्र भंडारी समेत पार्टी के तमाम अन्य नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस हाईकमान को जिन नेताओं से आस थी आज वो नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैँ। सैंकड़ों कांग्रेसी नेताओँ के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को एक ओर जहां संगठनात्मक नुकसान हो रहा है। तो वहीं दूसरी ओर भाजपा मनोवैज्ञानिक बढ़त बढ़ाने के साथ ही संगठन को भी मजबूत कर रही है। वहीं कांग्रेस पार्टी से एकाएक जा रहे नेताओं पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि इनके जाने से पार्टी को नुकसान नहीं होगा

 

 

आपको बता दें कि इस वर्ष की शुरूआत से ही उत्तराखंड कांग्रेस को लगातार झटके लग रहे हैं। लगातार पार्टी के सैंकड़ों नेताओं का पार्टी से पलायन होने से हाईकमान भी टेंशन में हैं। इसी बीच पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के भी भाजपा में जाने की चर्चा गरमाने लगी. हांलाकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने साफ कर दिया कि हरक सिंह रावत को पार्टी में शामिल नहीं किया जा रहा है। लेकिन अभी भी विपक्षी दलों के कई नेता उनके संपर्क में है…वहीं इस बीच कांग्रेस वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने बयान ने प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है। उन्होने कहा कि कांग्रेस सुस्त हो गई है और कांग्रेस आलसी हो गई है. मगरउनके साथ आए गठबंधन के लोग उनको जगा रहे हैं. कह रहे हैं कि उठोजागोलड़ो और जीतो…वहीं हरीश रावत के इस बयान ने भाजपा को बैठे बिठाए एक मुद्दा दे दिया। भाजपा का दावा है कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही हार स्वीकार कर ली है।

 

 

कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव के बीच उत्तराखंड में दलबदल की राजनीति तेज हो गई है। एक के एक विपक्षी दलों से भाजपा में शामिल हो रहे नेताओं से विपक्षी दल कमजोर हो रहे हैं। सवाल ये है कि क्या भाजपा दलबदल की राजनीति को बढ़ावा देकर विपक्ष को खत्म करने की साजिश कर रही हैक्या विपक्षी दलों के नेता ईडी और सीबीआई के डर से भाजपा में शामिल हो रहे हैं। क्या एक के बाद एक भाजपा में शामिल हो रहे विपक्षी दलों के नेताओं से भाजपा में असंतोष नहीं बढ़ेगा, क्या हरीश रावत का बयान कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाएगा

 

 

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