अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा में शामिल हुये स्वामी प्रसाद मौर्य

समाजवादी पार्टी में शामिल हुये मौर्य

लखनऊ- प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सूबे का सियासी मिजाज बदला हुआ है। एक के बाद एक नेता अपने समीकरण बनाने में लगे हुये हैं। सूत्रों  से मिली खबर के मुताबिक पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी में शामिल हो गये हैं। सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने उन्हें समाजवादी पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस दलबदल में कई और नाम सामने आ रहे हैं, जिनमें पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी, पूर्व मंत्री दारा सिंह के साथ ही विधायकों मुकेश वर्मा, भगवती सागर, विनय शाक्य, रोशन लाल वर्मा व ब्रजेश प्रजापति ने भी सपा की सदस्ता ली। फिलहाल इन पूर्व मंत्रियों व मौजूदा विधायकों को पार्टी में शामिल कराने को लेकर सपा कार्यालय में उत्साह देखा जा सकता है।

बोले मौर्य बीजेपी का इतिहास लिखा जायेगा

समाजवादी पार्टी में शामिल होते वक्त अपने भाषण में बोलते हुये मौर्य ने कहा है कि बीजेपी के लोग उनके बेटे को लेकर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होने बेटे के लिये पार्टी छोड़ दी है, लेकिन मैं कह रहा हूँ कि मैनें बीजेपी को बेटे के टिकट के लिये नहीं छोड़ा है बल्कि मैं पिछड़ो व दलितों की उपेक्षा से आहत था जिसकी वजह से मैनें पार्टी छोड़ दी। उन्होने कहा कि इस चुनाव में बीजेपी के अंत का इतिहास लिखा जायेगा।  उन्होने कहा कि 100 में से 85 लोग बीजेपी के साथ खड़े हैं, जबकि 15 लोग ही बीजेपी के साथ हैं। उन्होने कहा कि अपना  इस चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ होना तय है।

सपा सुप्रीमों से कसा सीएम पर तंज

आज समाजवादी पार्टी में पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की ज्वाइनिंग के दौरान भाषण देते हुये पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सीएम पर हमला बोलते हुये कहा कि मुख्यमंत्री जी ने हालात को देखते हुये 11 मार्च को अपना टिकट बुक कर लिया है। उन्होने कहा कि बीजेपी जो कहती है कि लड़ाई 80 और 20 की है तो 80 प्रतिशत लोग सपा के साथ हैं और 20 प्रतिशत भी उनसे नाराज हैं। उन्होने कहा कि जो भी लोग सपा में आ रहे हैं उन सबका स्वागत है।

बीजेपी का कितना नफा-कितना नुकसान

राजनैतिक विश्लेषकों की माने तो भले ही मौर्य ने दलितों- वंचितों के नाम को आगे रखकर पार्टी छोड़ दी है, लेकिन इससे बीजेपी का ज्यादा नुकसान होता दिख नहीं रहा है क्योंकि स्वामी प्रसाद मौर्य ने उस वक्त दलितों-वंचितों की आवाज बुलंद की है जब वो पूरा कार्यकाल व्यतीत कर चुके हैं, और आचार सहिंता लागू हो चुकी है, लिहाजा हर व्यक्ति उनकी मनोस्थति समझ सकता है। आपको बताते चलें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने इससे पहले बहुजन समाज पार्टी की ओर से 2012 से 2017 तक नेता विपक्ष रहते हुये भी उन्होने 2017 के चुनाव से ऐन पहले बसपा को अलविदा कह दिया था और बीजेपी लहर को देखते हुये भाजपा में शामिल हो गये थे,और सरकार बनते ही मंत्री बना दिये गये थे। उधर तमाम विश्लेषकों के मुताबिक स्वामी प्रसाद मौर्य  की बेटी संघमित्रा मौर्य अभी भी बीजेपी से ही सांसद हैं, लेकिन वे अब अपने बेटे के लिये टिकट मांग रहे थे, जिसे बीजेपी आलाकमान ने नहीं माना लिहाजा उन्होने पार्टी छोड़ दी। हालांकि अपने भाषण में स्वामी प्रसाद मौर्य ने बेटे के लिये पार्टी छोड़ने के सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।

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