जब एक मतदाता के लिए बूथ बनाया जा सकता है तो 30 बच्चों के लिए स्कूल चलाया क्यों नहीं जा सकता- अखिलेश यादव

डिजिटल डेस्क- प्रदेश सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों की संख्या वाले विद्यालयों को बंद करते हुए विलयीकरण करने के फैसले ने अब तुल पकड़ लिया है। जहां कल बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सरकार के इस फैसले पर अपना विरोध जताते हुए इस फैसले को गरीबों के अहित का बताया था और बसपा सरकार के बनने पर इस फैसले को वापस लेने का ऐलान किया था, वहीं आज पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट करते हुए इस फैसले का विरोध किया। अखिलेश यादव ने एक्स पर छः बिंदुओं को रखते हुए सरकार को घेरा और सरकार की सच्चाई उजागर की। साथ ही 1 मतदाता के लिए बूथ बनाने और 30 छात्रों के लिए स्कूल बंद करने के तर्क को समझाते हुए इसे अन्याय करार दिया।

क्या लिखा अखिलेश यादव ने?

सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लिखा कि शिक्षा ही विकास की सबसे बड़ी कसौटी होती है। भाजपा सरकार में शिक्षा और शिक्षकों की जो उपेक्षा हो रही है उसके पीछे एक गहरी साज़िश की ये आशंका बलवती हो रही है।
– भाजपा आनेवाली पीढ़ी से ‘शिक्षा का अधिकार’ छीनना चाहती है।
– ⁠जो शिक्षित होता है वह सकारात्मक भी होता है और सहनशील भी, ऐसे लोग भाजपा की नकारात्मक राजनीति को कभी भी स्वीकार नहीं करते हैं।
– ⁠शिक्षा से ही उनमें चेतना आती है और वो उत्पीड़न व शोषण के ख़िलाफ़ एकजुट हो जाते हैं।
– ⁠शिक्षा से जो आत्मविश्वास आता है वह भाजपा जैसे वर्चस्ववादी दल के विरोध का कारण बनता है, इसीलिए न होंगे स्कूल, न होगा भाजपा का विरोध।
– ⁠आज गाँवों में स्कूल बंद होंगे कल को भाजपा के संगी
-साथी सेवा के नाम पर अपने स्कूल वहाँ खोलने के लिए पहुँच जाएँगे। जिससे वो अपनी दरारवादी सोच के बीज बो सकें।
भाजपा अपनी प्रभुत्ववादी सोच को बनाए रखने के लिए अशिक्षित व अवैज्ञानिक लोगों की ताली बजाती, थाली पीटती अनपढ़ों की भीड़ चाहती है। नकारात्मक सोच के लिए प्रभुत्ववादी, घोर स्वार्थी व अनपढ़ों का समर्थन चाहिए होता है। सच में शिक्षित व परमार्थ से प्रेरित एक चैतन्य व जागरूक व्यक्ति कभी भी भाजपा जैसी सोच का समर्थक नहीं हो सकता है। जितनी शिक्षा प्रसारित होगी उतनी ही भाजपाई राजनीति की जड़ कमज़ोर होगी। सब जानते हैं कि जो चीज निगाह से दूर हो जाती है, वो दिमाग़ से भी दूर हो जाती है। जब आसपास स्कूल ही नहीं दिखेंगे तो शिक्षा की साक्षात प्रेरणा ही समाप्त हो जाएगी। हमारा तर्क ये है कि जब 1 मतदाता के लिए बूथ बनाया जा सकता है तो 30 बच्चों के लिए स्कूल चलाया क्यों नहीं जा सकता है। ये पीडीए के वंचित समाज को और भी वंचित करने का एक बड़ा षड्यंत्र है।