ट्रेन में दरिंदगी का शिकार हुई महिला सिपाही, इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, रेलवे से लेकर यूपी सरकार तक किया तलब

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में सुरक्षा देने वाली एक महिला सिपाही दरिंदगी का शिकार हुई है. वो अयोध्या में एक ट्रेन में अर्धनग्न अवस्था में गंभीर हालत में पाई गई. सिपाही अभी अस्पताल में है और उसका इलाज चल रहा है, उसकी हालत गंभीर है. यूपी पुलिस ने सिपाही के साथ रेप की घटना से इनकार किया है. इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया. देर रात चीफ जस्टिस के घर पर बेंच लगी. छुट्टी के बावजूद सुनवाई हुई. कोर्ट ने आज 12 बजे तक मामले में की गई अबतक की कार्रवाई का ब्यौरा मांगा है. पूछा है कि आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी हुई या नहीं?

दरअसल आपको बता दें कि मामला सरयू एक्सप्रेस ट्रेन का है. तीन दिन पहले महिला सिपाही इस ट्रेन में सवार थीं. उनकी तैनाती सुल्तानपुर में थी लेकिन अयोध्या के सावन मेले में उनकी ड्यूटी लगी थी. इस यात्रा के दौरान महिला सिपाही के साथ हैवानियत को अंजाम दिया गया. मनकापुर से अयोध्या रेलवे स्टेशन के बीच चलती ट्रेन में यह घटना हुई. अर्धनग्न और बेहोशी की हालत में ट्रेन में खून से लथपथ महिला सिपाही मिली थीं. हालत गंभीर होने की वजह से महिला सिपाही को इलाज के लिए लखनऊ के केजीएमयू में रेफर किया गया था. सिपाही की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है. यूपी पुलिस ने पीड़ित सिपाही के साथ रेप की घटना से इंकार किया है. इस घटना पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त है. कोर्ट ने रविवार रात को सुनवाई के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. दो जजों की बेंच ने आज सोमवार को जांच से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी को कोर्ट में सामने पेश होने कहा है. अफसर को कोर्ट में मौजूद होकर यह बताना होगा कि इस मामले में अबतक क्या एक्शन हुआ है?

रेलवे से लेकर यूपी सरकार तक के अधिकारियों को कोर्ट ने किया तलब

जानकारी के लिए बता दें कि सरकार को यह भी बताना होगा कि इस मामले में अभी तक आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी हुई या नहीं. कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई के दौरान रेलवे की तरफ से केंद्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को मौजूद रहना होगा. रविवार रात को इस मामले में हुई सुनवाई में कोर्ट ने यूपी सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल, शासकीय अधिवक्ता एके संड, एडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट जेके उपाध्याय और एडिशनल चीफ स्टैंडिंग काउंसिल प्रियंका मिड्ढा को तलब किया था.

खून से लथपथ ट्रेन में पाई गई थीं महिला सिपाही

बता दें कि चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने इस केस की सुनवाई की. हाईकोर्ट के वकील राम कुमार कौशिक ने भी इस मामले में चीफ जस्टिस को एक लेटर देकर उनसे इसे जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार किए जाने का अनुरोध किया था. महिला सिपाही के साथ तीन दिन पहले ट्रेन में हैवानियत की घटना हुई थी. सरयू एक्सप्रेस ट्रेन में पीड़ित महिला सिपाही सवार थी और खून से लथपथ अर्धनग्न अवस्था में पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराई गई थीं. बताया जाता है कि महिला सिपाही की हालत गंभीर बनी हुई.

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