KNEWS DESK- प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला एक बार फिर से आध्यात्मिक उन्नति और धार्मिक अनुष्ठानों का संगम बन गया है। इस बार एक नई और दिलचस्प घटना ने ध्यान आकर्षित किया, जब फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने आध्यात्मिक जीवन की ओर कदम बढ़ाया और किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर की उपाधि ग्रहण की। ममता कुलकर्णी अब ‘यमाई ममता नंद गिरि’ के नाम से जानी जाएंगी।
शुक्रवार को हुए इस ऐतिहासिक अवसर पर ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े के आचार्यों से पट्टाभिषेक प्राप्त किया। इस अवसर पर किन्नर अखाड़े की तांत्रिक परंपराओं के अनुसार, साधकों को दीक्षा दिलाने का महत्वपूर्ण आयोजन हुआ। आधी रात को आयोजित पूजा के दौरान गूंजते डमरू और मंत्रोच्चारण ने वातावरण को रहस्यमय और आध्यात्मिक बना दिया।
किन्नर अखाड़े की तांत्रिक परंपराएं और अघोरी काली पूजा
महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े में तंत्र विद्या के अनुसार पूजा आयोजित की जाती है। खासकर, दीक्षा का यह आयोजन आधी रात को होता है, जो तंत्र विद्या में विशेष महत्व रखता है। इस पूजा में अघोरी काली पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें मंत्रोच्चारण, डमरू की गूंज, और दीपों से सजी मानव खोपड़ियां वातावरण में एक अद्वितीय रहस्य और आध्यात्मिकता का अहसास कराती हैं। इस पूजा का उद्देश्य साधकों को तंत्र विद्या में दीक्षा देकर उन्हें आत्मिक उन्नति की राह दिखाना है।
महाकुंभ के इस विशेष मौके पर, किन्नर अखाड़े में दीक्षा देने के लिए तमिलनाडु से आए महामंडलेश्वर मणि कान्तन ने पूजा का नेतृत्व किया। मणि कान्तन ने तंत्र विद्या के महत्व को समझाते हुए अपने शिष्यों को दीक्षा दी और अघोर साधना की परंपराओं को साझा किया। उन्होंने इस पूजा को सात्विक तंत्र पूजा बताया, जिसमें श्रद्धा और साधना का अद्वितीय मिलाजुला रूप देखने को मिलता है।
महाकुंभ और तंत्र साधना का विशेष महत्व
महाकुंभ का यह पवित्र समय तंत्र साधना के लिए अत्यंत उत्तम माना जाता है। इस दौरान आयोजित पूजा में तंत्र और धर्म का ऐसा अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जो साधकों को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है। तंत्र साधना के लिए विशेष समय की मान्यता है, और आधी रात का समय इसे सबसे अधिक फलदायक माना जाता है। इस समय देवी-देवताओं की विशेष उपस्थिति का विश्वास किया जाता है, जिससे पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
महाकुंभ के इस पवित्र आयोजन ने न केवल आध्यात्मिक साधना की महत्वपूर्ण परंपराओं को उजागर किया, बल्कि किन्नर अखाड़े की भूमिका को भी एक नया आयाम दिया। ममता कुलकर्णी का आध्यात्मिक जीवन की ओर रुझान एक प्रतीक है कि भौतिक जगत से परे भी आत्मिक उन्नति और शांति की राह होती है।
इस पूजा का उद्देश्य विश्व कल्याण की कामना करना है। पूजा के बाद श्रद्धालुओं को आशीर्वाद भी दिया जाता है, जिससे उनके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास हो सके। यह विशेष साधना काशी के मणिकर्णिका घाट और कामाख्या देवी मंदिर जैसी जगहों पर भी की जाती है, लेकिन महाकुंभ के समय इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
अंततः, यह आयोजन किन्नर अखाड़े की तांत्रिक परंपराओं को जीवित रखने और तंत्र विद्या के महत्व को समझाने का एक माध्यम बन गया है। इस अनोखी आध्यात्मिक साधना ने सभी को यह संदेश दिया है कि जब श्रद्धा और साधना एक साथ मिलती हैं, तो व्यक्ति के जीवन में अद्वितीय बदलाव और उन्नति संभव हो सकती है।
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