KNEWS DESK- राजधानी दिल्ली में प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए 1 जुलाई से ओवरएज पेट्रोल और डीजल वाहनों पर ईंधन भरवाने की रोक लागू कर दी गई है। इस फैसले के बाद से दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल-डीजल लेने पहुंचे पुराने वाहनों की जांच की जा रही है और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
नई व्यवस्था लागू होने के दूसरे दिन केवल 7 ओवरएज वाहनों को जब्त किया गया, जबकि कैमरों में 78 ऐसे वाहन देखे गए। इनमें से एक वाहन को परिवहन विभाग ने, तीन को दिल्ली पुलिस और तीन को एमसीडी ने जब्त किया। वहीं, मंगलवार को पहले दिन 80 वाहनों को जब्त किया गया था, जिनमें 67 दोपहिया, 12 चारपहिया और अन्य वाहन शामिल थे।
परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, कई ओवरएज वाहनों के पास नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) था, जिसके चलते उन्हें तत्काल जब्त नहीं किया गया। इससे स्पष्ट है कि केवल उम्र के आधार पर कार्रवाई नहीं की जा रही है, बल्कि वाहनों की कागजी स्थिति भी देखी जा रही है।
दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया ने बताया कि बुधवार को पेट्रोल पंपों पर वाहनों की संख्या बेहद कम रही और शायद ही कोई ओवरएज वाहन पहुंचा। उन्होंने कहा कि पहले दिन जो तकनीकी समस्याएं आई थीं, उन्हें काफी हद तक सुलझा लिया गया है, लेकिन कैमरा प्लेसमेंट को और बेहतर बनाने की जरूरत है।
एक अन्य पेट्रोल पंप संचालक ने कहा कि अगर हम 60 में से सिर्फ 7 वाहन पकड़ पा रहे हैं, तो इस पूरी नीति पर पुनर्विचार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अधिक उम्र के सभी वाहन अधिक प्रदूषण फैलाते हों, यह जरूरी नहीं है। अगर किसी वाहन का ठीक से रखरखाव किया गया हो, तो वह नए वाहनों की तुलना में भी कम प्रदूषण कर सकता है। वहीं, NCR से आने वाले ओवरएज वाहनों की संख्या में इजाफा होना भी एक चिंताजनक मुद्दा है।
नई व्यवस्था के तहत-
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15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों और
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10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों को दिल्ली में न ईंधन मिलेगा और न ही चलने की इजाजत।
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CNG वाहन इस नियम से फिलहाल बाहर हैं।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस कदम की आलोचना की है। पार्टी ने इसे जनविरोधी और कॉरपोरेट-समर्थक बताते हुए “तुगलकी फरमान” करार दिया है।
साल 2023 में दिल्ली में 22,000 से ज्यादा ओवरएज वाहन जब्त किए गए थे, जबकि 2024 में अब तक 39,000 से अधिक वाहन जब्त कर स्क्रैपिंग के लिए भेजे जा चुके हैं। अनुमान है कि मार्च 2025 तक दिल्ली में ऐसे पुराने वाहनों की संख्या 60 लाख से अधिक हो सकती है।