EC के फैसले के बाद शिंदे गुट को मिला शिवसेना का नाम और चिन्ह.. EC के फैसले पर उद्धव ठाकरे ने किया वार

मुंबई, उद्धव ठाकरे की सरकार गिरने के बाद उनको अब एक ओर झटका लग चुका है. सरकार गिरने के बाद शिंदे गुट और उद्धव गुट के बीच शिवसेना के वर्चस्व को लेकर लड़ाई चल रही है. दोनों गुट शिवसेना के नाम और चिन्ह पर अपना-अपना दावा पेश कर रहे थे. जिसके बाद ये लड़ाई चुनाव आयोग पहुंच गई. शुक्रवार को चुनाव आयोग ने अपने फैसले पर शिवसेना के नाम और चिन्ह को शिंदे गुट को दे दिया है.

चुनाव आयोग के तीन सदस्यीय पैनल ने ये फ़ैसला दिया है. महाराष्ट्र में शिवसेना के कुल 67 विधायकों और विधान परिषद सदस्यों में से 40 शिंदे गुट के पक्ष में थे. संसद के दोनों सदनों के 22 सांसदों में से 13 शिंदे गुट के पक्ष में थे. चुनाव आयोग ने कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव में जीत कर आए 55 शिवसेना विधायकों के वोटों में से 76 फ़ीसदी वोट शिंदे गुट को मिले, जबकि उद्दव ठाकरे के गुट को सिर्फ 23.5 फीसदी वोट मिले. आयोग ने कहा कि पार्टी का चिह्न ‘धनुष और तीर’ शिंदे गुट के पास रहेगा. लेकिन पिछले साल बालासाहेबबांची शिवसेना के नाम और इसे दिए गए चिह्न ‘दो तलवार और एक ढाल’ का इस्तेमाल नहीं हो पाएगा.

आयोग के फैसले पर उद्धव का वार

उद्धव ठाकरे ने आयोग के इस फ़ैसले को तमाशा करार दिया है. उन्होंने कहा कि पार्टी इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट जाएगी. फ़ैसले से नाराज ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब औपचारिक रूप से भारत में तानशाही की शुरुआत और लोकतंत्र के अंत की घोषणा कर देनी चाहिए. उन्होंने कहा “चुनाव आयोग ने तमाशा किया. उन्होंने कई सारे दस्तावेज़ मांगे. हमने वो सब दिए. इसके बाद ये फ़ैसला दिया. आख़िर ये तमाशा क्यों?” इस मामले में अपनी एक छोटी टिप्पणी में कहा है आयोग ने ये फ़ैसला ऐसे समय में किया है, जब सुप्रीम कोर्ट में बाग़ी शिवसेना विधायकों को अयोग्य करार देने के डिप्टी स्पीकर के अधिकार पर फ़ैसला होना है. ख़ास कर तब जब डिप्टी स्पीकर को ही हटाने का नोटिस दिया जा चुका है.

            

 

 

 

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