चंद्रयान-3 की लैंडिंग के 100 घंटे शेष, ISRO ने साझा की जानकारी

KNEWS DESK… चंद्रयान-3 सही ढंग से चंद्रमा की सतह की तरफ बढ़ रहा है. ISRO के द्वारा दिए गए नए अपडेट के अनुसार चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल डी-बूस्टिंग के बाद अपनी कक्षा कम करते हुए 113 KM x 157 KM के ऑर्बिट में आ गया. लैंडर  और रोवर से युक्त लैंडर मॉड्यूल 20 अगस्त को दूसरी ‘डिबूस्टिंग’ से गुजरेगा.

दरअसल आपको बता दें कि दूसरी डिबूस्टिंग के तहत इसे एक कक्षा में उतारा जाएगा. इसके बाद ये चंद्रमा की सतह के बहुत करीब पहुंच जाएगा.  भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया को अब 23 अगस्त का इंतजार है. क्योंकि इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार, 14 जुलाई को लॉन्च हुआ चंद्रयान-3 मून मिशन 23 अगस्‍त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग करेगा. इसके बाद वहां से ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाई जा सकेगी.

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जानकारी के लिए बता दें कि एक दिन पहले चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर द्वारा लिए गए चांद की सतह का नए वीडियो ISRO ने अपने ट्विटर हैंडल पर जारी किया. यह वीडियो विक्रम लैंडर पर लगे LPDC सेंसर के जरिए लिया गया है. दरअसल यह एक कैमरा है, जिसका पूरा नाम लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा है. इस LPDC कैमरे की मदद से यह देखा जा सकता है कि विक्रम लैंडर कहीं ऊबड़-खाबड़, गड्ढे या क्रेटर में तो नहीं जा रही है. LPDC का मुख्य काम है विक्रम की लैंडिंग के लिए सही जगह खोजना.

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 विक्रम लैंडर की ISRO ने बताई खुबियां

बता दें कि ISRO ने कहा है कि विक्रम लैंडर जिस समय चांद की सतह पर उतरेगा, उस समय उसकी गति 2 मीटर प्रति सेकेंड के आसपास होगी. लेकिन हॉरीजोंटल गति 0.5 मीटर प्रति सेकेंड होगी. विक्रम लैंडर 12 डिग्री झुकाव वाली ढलान पर उतरने की संभावना जताई जा रही है. इसकी गति, दिशा एवं चांद पर समतल जमीन खोजने में ये सभी यंत्र विक्रम लैंडर की मदद करेंगे. ये सभी यंत्र लैंडिंग से तकरीबन 500 मीटर पहले ही एक्टिवेट हो जाएंगे.

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