KNEWS DESK… आज जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आजादी का जश्न मना रहा था, तब बिहार के औरंगाबाद में नम आंखों से एक शहीद जवान को अंतिम विदाई दी गई। औरंगाबाद के ओबरा में मंगलवार को भारत मां के सपूत शहीद संजय दुबे की अंतिम यात्रा निकली, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। दोमुहान स्थित श्मशान में बड़े बेटे स्वस्तिक ने अपने पिता को मुखाग्नि दी।
दरअसल आपको बता दें कि सड़क दुर्घटना में असामयिक मौत के शिकार हुए जवान संजय दुबे को सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने सशत्र सलामी देकर विदा किया। शहीद के बड़े पुत्र स्वस्तिक(12) ने जैसे ही अपने पिता को मुखाग्नि दी। उसके बाद जैसे-जैसे अग्नि तेज होती गई, वैसे-वैसे परिजनों की आंखों से आंसुओं की धारा भी तेज होती गयी। वहां मौजूद जवान और गांव वालों की आंखों से भी आंसू निकल गए। माहौल पूरी तरह गमगीन रहा।
जानकारी के लिए बता दें कि 3 दिन पहले यानी 12 अगस्त को राजस्थान के जैसलमेर में भारत-पाकिस्तान बार्डर पर ड्यूटी पर जा रहा BSF जवानों का ट्रक हादसे का शिकार हो गया था। लंगतला के पास बेकाबू ट्रक के पलटने से लगभग 16 जवान घायल हुए थे। जिसमें संजय दुबे की मौत हुई थी। 40 साल के जवान संजय के निधन की खबर शनिवार देर रात BSF के जैसलमेर कार्यालय से ओबरा थाना को दी गई थी। सोमवार को जब शहीद का शव तिरंगे में लिपटकर ओबरा लाया गया तो सभी की आंखें नम थीं। बेटे को तिरंगे में लिपटा देख माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल था। जबकि उनकी पत्नी बेसुध हो गई थीं। परिजन-पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने शहीज जवाने के परिवार को संभाला। फिर सोमवार सुबह करीब 8 बजे शहीद सैनिक की शव यात्रा निकली। उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
संजय दुबे 2002 में BSF में हुए थे भर्ती
बता दें कि शहीद संजय दुबे देश भक्ति का सपना लेकर आगे बढ़ रहे थे। साल 2002 में BSF में उनका चयन हुआ था। उनके दो बेटे हैं। स्वस्तिक की उम्र 12 साल, जबकि शुभ 10 साल का है। बेटे के निधन पर मां-पिता दोनों बेहद दुखी हैं। अब उन्हें यह चिंता परेशान कर रही है कि दुखों का ये पहाड़ टूटन के बाद अब उनका परिवार कैसे संभलेगा।