KNEWS DESK- नाथ नगरी बरेली में भोलेनाथ के मंदिरों का अलग रहस्य है और हर मन्दिर की अलग विशेषताएं भी हैं। नाथ नगरी में भगवान शिव के सात मन्दिर हैं। उत्तर प्रदेश के बरेली शहर को नाथ नगरी के नाम से जाना जाता है। इसकी पौराणिकता और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए वाराणसी कॉरिडोर की तरह बरेली नाथ कॉरिडोर भी बनाया जा रहा है।
बरेली नगरी में 7 नाथ मंदिर हैं। इन्हीं में एक है – मढ़ीनाथ मंदिर। इस मंदिर में दूरदराज के भक्त पूजा-अर्चना करने आते हैं। सावन के महीने में यहां शिवभक्तों का तांता लगा रहता है। इस मढ़ीनाथ मंदिर के अंदर प्राचीन शिवलिंग हैं. श्रद्धालु इस शिवलिंग पर पूरे भक्ति भाव से जलाभिषेक करते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां जलाभिषेक करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सावन में मढ़ीनाथ मंदिर में भक्तों की लंबी-लंबी लाइनें दिखती हैं।
सिद्ध बाबा ने की थी स्थापना
एक सिद्ध बाबा ने इसकी स्थापना की थी। इसकी एक प्राचीन कहानी है। तब धर्माचायों को भंडारे के लिए आमंत्रित किया था। मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर साधु-संतों ने जलाभिषेक किया लेकिन एक महात्मा को दूध कम पड़ गया। बताया जाता है उस संत ने जब अभिषेक के लिए दूध मांगा तो बाबा ने योग क्रिया से पास के कुएं के पानी को दूध में बदल दिया इसलिए यह बहुत चमत्कारी भी माना जाता है।
मंदिर परिसर में मौजूद 108 शिवलिंग
इस मंदिर परिसर में 108 छोटे-छोटे शिवलिंग भी स्थापित हैं। इन शिवलिंगों का अपना महात्म्य है। इन 108 शिवलिंगों पर भक्त जलाभिषेक करते हैं। सावन में दूर-दूर से भक्त आकर जलाभिषेक करने आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने के लिए प्रार्थना करते हैं। श्रद्धालु हरिद्वार से जल लाकर भी यहां जलाभिषेक करते हैं।
यह मंदिर लगभग 800 साल पुराना है। उनके कई बुजुर्गों ने यहां सेवा की है. जो अब इस दुनिया में नही हैं। महंत ने बताया कि इस मंदिर की मान्यता दूर-दूर तक फैली हुई है। पूरी बरेली के साथ-साथ कई जिलों से लोग आकर यहां माथा टेकते हैं औरआशीर्वाद लेते हैं। उन्होंने बताया कि इस मंदिर का पूरा नाम दूधाधारी मढ़ीनाथ मन्दिर है। महंत ने बताया कि शिवरात्रि पर विशेष तौर पर यहां भीड़ आती है। नाथ नगरी का मंदिर होने की वजह से यहां प्रशासन का भी खास सहयोग रहता है।