KNEWS DESK….आज गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन के बाद से आषाढ़ मास समाप्त हो जाता है और सावन महीने की शुरूआत होती है।
आपको बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। गुरु पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी-नारायण की पूजा करना और कथा करवाना बहुत ही शुभ माना गया है। इस पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा करवाने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद और देवी लक्ष्मी की कृपा भी मिलती है।गुरु पूर्णिमा के दिन पुराण अथवा गीता पढ़ने से अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक लाभ मिलता है। इसी प्रकार इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से धन लक्ष्मी और ऐश्वर्य मिलता हैं। गुरु पूर्णिमा को भारत में बहुत ही श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। व्यासजी को प्रथम गुरु की भी उपाधि दी जाती है। क्योंकि गुरु व्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। इस दिन गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने गुरुओं की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। भगवान विष्णु के अंश वेदव्यासजी के बिना गुरु पूजा पूरी नहीं होती। इसलिए इस दिन प्रथम गुरु महर्षि वेदव्यास की पूजा करनी चाहिए। साथ ही गुरु पूर्णिमा पर कुछ ऐसे उपाय कर सकते हैं, जिनको करने से जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती है। और ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
चरण वंदना करें
आप जिसे भी अपना गुरु बनाते हैं। आज के दिन विशेष रूप से उसके प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है।क्यों कि उनके ज्ञान के प्रकाश से आपके जीवन का अंधकार दूर होता है।गुरु पूर्णिमा गुरु और शिष्य के बीच आस्था और पूजा का दिन होता है। इस दिन गुरु के चरणों को धोकर आशीर्वाद लेना चाहिए और चरण वंदना करनी चाहिए। साथ ही गुरु के मंत्रों का जप करना चाहिए। यदि आपके गुरु आपके पास नहीं हैं तो अपने गुरु की तस्वीर को माला फूल अर्पित कर उनका तिलक करें।
गुरु को दें ये उपहार
गुरु पूर्णिमा के दिन आप गुरु को वस्त्र, पादुका या उनके काम में आने वाली चीजें भेंट कर सकते हैं। सनातन मान्यता के अनुसार माता-पिता को मनुष्य का प्रथम गुरु कहा गया है। इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन माता पिता को एक स्थान पर बैठाकर उनकी प्रदक्षिणा यानी परिक्रमा करें और उनके चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लें। जो व्यक्ति अपने माता-पिता की सेवा कर उनका आशीर्वाद लेते हैं उन पर भगवान विष्णु की कृपा होती है।