डिजिटल डेस्क- कानपुर मेट्रो के निर्माण कार्य में मैन पावर उपलब्ध करा रही तुर्क की कंपनी गुलेरमक अपने कर्माचरियों का 80 करोड़ रूपए बकाया कर फरार हो गई। कंपनी के फरार होने और कर्मचारियों का वेतन बकाया होने से कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। कंपनी के कानपुर ऑफिस में ताला लटका हुआ है, यहां तक कि वहां मौजूद गार्डों की सैलरी का पैसा भी कंपनी पर बकाया है। ठेकेदारों का कहना है कि कंपनी के अधिकारी अब उनका फोन तक नहीं उठा रहे हैं, ना ही कंपनी की तरफ से किसी प्रकार का कोई रिस्पांस दिया गया है। इस मामले में पीड़ित ठेकेदारों ने कानपुर डीएम को शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
कानपुर में मेट्रो परियोजना के भूमिगत सेक्शन और मैन पावर पर काम कर रही तुर्की कंपनी गुलेरमक 80 करोड़ रुपये बकाया लेकर शहर से भाग गई। कंपनी ने करीब दस महीने से 53 ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया था। भारत-पाकिस्तान युद्ध में तुर्की की भूमिका को लेकर विरोध के बाद कंपनी ने पहले भुगतान में देरी की और फिर मौके का फायदा उठाते हुए फरार हो गई। ठेकेदारों के अनुसार, तुर्की की कंपनी गुलेरमक के सभी शीर्ष अधिकारी शहर छोड़कर भाग गए हैं। उन्होंने बताया कि जब उनसे फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने टालमटोल भरे जवाब दिए और मामले को टाल दिया। जब इसकी शिकायत यूपीएमआरसी के अधिकारियों से की गई तो कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद 9 ठेकेदारों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर लिखित शिकायत की।
मेट्रो ने गुलेरमक को पूरा भुगतान कर दिया- कानपुर मेट्रो महाप्रबंधक (जनसंपर्क)
यूपीएमआरसी के संयुक्त महाप्रबंधक (जनसंपर्क) पंचानन मिश्रा ने मीडिया को बताया कि गुलेरमक ने कानपुर में कॉरिडोर वन के चार स्टेशनों का काम संयुक्त उद्यम के साथ पूरा कर लिया है। स्टेशनों को अपने अधीन लेने के बाद मेट्रो ने गुलेरमक को पूरा भुगतान कर दिया है। ये ठेकेदार कंपनी के सब कांट्रेक्टर्स हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मेट्रो के पास कुल अनुबंध मूल्य का 5 प्रतिशत भुगतान आरक्षित है, जिसे एक वर्ष बाद जारी किया जाना है, लेकिन यदि कंपनी ठेकेदारों को भुगतान नहीं करती है, तो मेट्रो को यह भुगतान जारी करना होगा।