सियासत गर्म है, सत्र की अवधि कम है !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देवभूमि उत्तराखंड में मानसून की भारी बारिश के बीच राज्य में सत्र के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। दअरसल धामी सरकार ने उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैँण में आयोजित करने का फैसला लिया है। धामी सरकार तीन दिवसीय सत्र गैरसैँण में करेगी। 21 अगस्त से 23 अगस्त तक चलने वाले इस सत्र के शुरू होने से पहले ही सियासत गरमा गई है। दअरसल विपक्ष ने सत्र की अवधि पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का तर्क है कि मात्र तीन दिन के सत्र में राज्य के 70 विधायक अपने-अपने क्षेत्रों के मुद्दे को नहीं उठा पाएंगे। कांग्रेस का कहना है कि सरकार सत्र के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रही है। वहीं विपक्ष ने सदन में सत्तापक्ष को घेरने की रणनीति भी तैयार कर ली है। कांग्रेस एक ओर जहां सत्र की अवधि को लेकर सरकार की घेराबंदी करेगी। तो वहीं बेरोजगारी, महंगाई, दैवीय आपदा के साथ ही तमाम अन्य मुद्दों को लेकर सरकार पर दबाव बनाया जाएगा। वहीं सत्तापक्ष का आरोप है कि कांग्रेस के पास मुद्दों की भारी कमी है,राज्य सरकार प्रदेश के विकास के लिए दिन रात लगी हुई है। ऐसे में सत्र की अवधि बढ़ाये जाने की मांग कांग्रेस की बेबुनियाद है सवाल ये है कि क्या गैरसैंण में होने जा रहा सत्र सिर्फ खानापूर्ति है

 उत्तराखंड की धामी सरकार मानसून की भारी बारिश के बीच पहाड़ पर सत्र कराने जा रही है। सरकार ने सत्र की अधिसूचना को भी जारी कर दिया है। इसके तहत 21 अगस्त से 23 अगस्त तक सत्र चलेगा। वहीं उत्तराखँड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने सत्र को लेकर अधिकारियों की बैठक ली। विधानसभा अध्यक्ष ने सभी तैयारियों को समय से पूरा करने के निर्देश दिये हैं। वहीं उन्होने बताया कि करीब 500 प्रश्न विधानसभा को प्राप्त हो चुके हैं। वहीं विपक्ष का कहना है कि सरकार का मानसून सत्र सिर्फ खानापूर्ति है।

आपको बता दें कि विपक्ष एक सप्ताह से अधिक सत्र चलाने की मांग कर रहा है। ताकि सभी विधायकों के प्रश्न सदन में उठाए जा सके। वहीं विपक्ष ने मॉनसून सत्र में सत्तापक्ष को कई मुद्दों पर घेरने की रणनीति तैयार की है। कांग्रेस का कहना है कि वह सदन में सत्र की अवधि को बढ़ाने, बेरोजगारी, राज्य की बदहाल कानून व्यवस्था, राज्य में बढ़ती महंगाई, राज्य में आई आपदा समेत तमाम मुद्दों को सदन में उठाएगा। वहीं सत्तापक्ष का कहना है कि विपक्ष के पास मुद्दों की भारी कमी है।

कुल मिलाकर राज्य में मानसून की भारी बारिश के बीच उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र पर सियासत गर्मा गई है। विपक्ष के तेवर से साफ है कि सदन की बेहद ही हंगामेंदार शुरूआत होने जा रही है। हांलाकि बड़ा सवाल ये है कि क्या मानसून सत्र में जनहित से जुड़े कार्य हो पाएंगे। क्या विपक्ष सदन में सरकार की घेराबंदी तथ्यों के साथ कर पाएगा, क्या कांग्रेस को सदन में उठाए जाने वाले मुद्दों पर एक बार फिर मंथन की जरूरत है, सवाल तो ये भी है कि क्या धामी सरकार का ये सत्र सिर्फ खानापूर्ति है…

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