हिजाब पहनकर कक्षा में बैठने के मामले में राहुल का बयान, कहा-‘हिजाब के चक्कर में देश की बेटियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है’

नई दिल्ली: कर्णाटक में मुस्लिम छात्राओं को क्लास में हिजाब पहन कर पढ़ने के मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इशारों-इशारों में कर्नाटक की सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि, हिजाब के चक्कर में देश की बेटियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, साथ ही उन्होंने कहा है कि, मां सरस्वती सभी को ज्ञान देती हैं न कि वो भेदभाव करती है। राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘छात्रों के हिजाब को उनकी शिक्षा में आड़े आने देकर हम भारत की बेटियों का भविष्य खराब कर रहे हैं. मां सरस्वती सभी को ज्ञान देती हैं. वह भेदभाव नहीं करती.’

क्या है हिजाब का पूरा विवाद
पिछले महीने कर्नाटक के उडुपी जिले में एक कॉलेज में हिजाब पहनने के लिए 6 छात्राओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, इसके बाद राज्य के दूसरे कॉलेजों में ये विवाद फैल गया। उडुपी में कॉलेज के प्रिंसिपल ने खुद हिजाब पहनने वाली छात्राओं को कैंपस में प्रवेश करने से रोक दिया था, जिसके बाद छात्राओं ने इस फैसले का विरोध किया। उडुपी के विधायक और कॉलेज विकास समिति के अध्यक्ष के. रघुपति भट ने हिजाब पहनने के अधिकार के लिए विरोध प्रदर्शन कर रही छात्राओं के साथ बैठक के बाद स्पष्ट रूप से कहा कि शिक्षा विभाग के फैसले के तहत छात्राओं को ‘हिजाब’ पहनकर कक्षा में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।

हाईकोर्ट में चुनौती-
मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है. उडुपी जिले स्थित एक सरकारी महिला कॉलेज की एक छात्रा ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर करके क्लास के भीतर हिजाब पहनने का अधिकार दिए जाने का अनुरोध किया है. छात्रा रेशम फारूक ने ये याचिका दायर की. याचिकाकर्ता ने कहा है कि छात्राओं को हिजाब पहनने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत दिया गया मौलिक अधिकार है और इस्लाम के तहत यह एक आवश्यक प्रथा है।

क्या है छात्राओं की दलील
याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया कि उसे और उसकी अन्य सहपाठियों को कॉलेज प्रशासन के हस्तक्षेप के बिना हिजाब पहनकर कक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए. याचिका में कहा गया है कि कॉलेज ने इस्लाम धर्म का पालन करने वाली आठ छात्राओं को प्रवेश नहीं करने दिया. इसमें कहा गया है कि ये छात्राएं हिजाब पहने थीं, इसलिए उन्हें शिक्षा के उनके मौलिक अधिकार से वंचित किया गया।

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