कम मतदान, धामी ने लिया संज्ञान !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में पहले चरण में हुए लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की काफी उदासीनता देखने को मिली है। राज्य में  करीब 57.24 प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यह आंकड़ा पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में लगभग 5 प्रतिशत कम है। वहीं पांचो लोकसभा सीटों की बात करें तो अल्मोड़ा में सबसे कम 48.82 प्रतिशत मतदान रिकॉर्ड किया गया है। जबकि सबसे अधिक मतदान हरिद्वार लोकसभा सीट में 63.53 प्रतिशत मतदान हुआ है। वहीं, नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट पर 62.47 प्रतिशत, पौड़ी गढ़वाल में 52.42 प्रतिशत,जबकि टिहरी लोकसभा सीट पर 53.76 प्रतिशत मतदान हुआ है। कम मतदान के पीछे कई वजहें मानी जा रही है। वहीं मतदाताओं की उदासीनता ने सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने वाले गांवों की रिपेार्ट तलब की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने प्रमुख सचिव आरके सुधांशु को सभी गांवों की नाराजगी की वजह तलाशने और उसका प्रभावी समाधान करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि राज्य में इस बार के लोकसभा चुनाव में 35 से ज्यादा गांवों के लोगों ने मतदान का पूर्ण बहिष्कार किया था। इन गांवों में अधिकांश गांव सड़क न बनने के कारण के नाराज हैं। कई क्षेत्रों में कई कई साल पहले स्वीकृत हुए सड़कों का निर्माण भी नहीं हो पाया। ज्ञापन, धरने, प्रदर्शनों के बावजूद कार्रवाई न होने पर लोगों ने इस बार मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी थी। वहीं राज्य में मतदान प्रतिशत कम होने के बाद सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार सिर्फ विकास के बड़े बड़े दावे करती है लेकिन धरातल पर कोई कार्य नहीं कर रही। मतदान कम होने के पीछे भी ग्रामीणों की नाराजगी ही देखने को मिली है।

लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में हुए मतदान के दौरान मतदाताओँ में काफी उदासीनता दिखी..डेढ से दो महीने प्रचार प्रसार के बावजूद भी मतदाता अपने घरों से मतदान के लिए बाहर नहीं निकले। कम मतदान के पीछे कई वजहें मानी जा रही है। राज्य में  करीब 57.24 प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। यह आंकड़ा पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में लगभग 5 प्रतिशत कम है। वहीं पांचो लोकसभा सीटों की बात करें तो अल्मोड़ा में सबसे कम 48.82 प्रतिशत मतदान रिकॉर्ड किया गया है.जबकि हरिद्वार लोकसभा सीट में सबसे अधिक 63.53 प्रतिशत मतदान हुआ है। वहीं कम मतदान के पीछे अब भाजपा-कांग्रेस के अपने अपने तर्क हैं। एक तरफ जहां भाजपा का कहना है कि कांग्रेस नेताओँ की उदासीनता की वजह से मतदान प्रतिशत कम हुआ है जबकि कांग्रेस का कहना है कि अधिकांश गांवों के चुनाव बहिष्कार की वजह से मतदान में कमी आई है

आपको बता दें कि उत्तराखंड में हुए कम मतदान प्रतिशत ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने वाले गांवों की रिपेार्ट तलब की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने प्रमुख सचिव आरके सुधांशु को सभी गांवों की नाराजगी की वजह तलाशने और उसका प्रभावी समाधान करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि राज्य में इस बार के लोकसभा चुनाव में 35 से ज्यादा गांवों के लोगों ने मतदान का पूर्ण बहिष्कार किया था। इन गांवों में अधिकांश गांव सड़क न बनने के कारण के नाराज हैं। कई क्षेत्रों में कई कई साल पहले स्वीकृत हुए सड़कों का निर्माण भी नहीं हो पाया। ज्ञापन, धरने, प्रदर्शनों के बावजूद कार्रवाई न होने पर लोगों ने इस बार मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी थी। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि मांगें पूरी ना होने पर आगे भी मतदान बहिष्कार जारी रहेगा

कुल मिलाकर लोकतंत्र के महापर्व में मतदाताओं की उदासीनता चिंता का विषय है। भले ही राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करें लेकिन हकीकत में जनता को विकास से मतलब है…यही वजह है कि राज्य के 35 से ज्यादा गांव के ग्रामीणों ने मूलभूत सुविधाओं के लिए मतदान का बहिष्कार किया जिसका असर मतदान प्रतिशत पर भी देखने को मिला है। देखना होगा कि विकास का दावा करने वाली भाजपा सरकार क्या ग्रामीणों की मांगों को पूरा करेगी या नहीं

 

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