‘सनातन धर्म के नियमों का हो रहा उल्लंघन’, जानें पीएम मोदी और सीएम योगी को लेकर क्या बोले शंकराचार्य…

KNEWS DESK- जैसे- जैसे 22 जनवरी की तारीख नजदीक आ रही है देश में अयोध्या के राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर जश्न बढ़ता ही जा रहा है। तो वहीं दूसरी ओर रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शंकराचार्यों के शामिल नहीं होने का मुद्दा भी चल रहा है। पुरी के गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने फिर से सनातन धर्म के नियमों के उल्लंघन की बात कही है। इसके साथ उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि उनका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता इसलिए उनसे टकराने की गलती ना की जाए।

शंकराचार्य ने कहा कि व्यासपीठ के साथ जो टकराता है, चारों खाने चूर-चूर हो जाता है। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, ‘मैंने पहले कहा कि हिमालय पर जो प्रहार करता है उसकी मुट्ठी टूट जाती है। हम लोगों से टकराना उचित नहीं है. अरबों एटम बम को दृष्टि मात्र से नष्ट करने की क्षमता हम लोगों में है। हम चुनाव की प्रक्रिया से इस पद पर नहीं प्रतिष्ठित हैं। जिनकी गद्दी है उनके द्वारा प्रेरित होकर हम प्रतिष्ठित हैं इसलिए कोई हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकता.’

शंकराचार्य ने आगे कहा, ‘अगर कोई इस गद्दी के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश करेगा तो कितना भी बलवान हो सुरक्षित नहीं रह सकेगा। जनता को मैं भड़काता नहीं, लेकिन हमारी वाणी का अनुगमन जनता करती है। लोकमत हमारे साथ है, शास्त्र मत भी हमारे साथ है, साधु मत भी हमारे साथ है तो हमने संकेत किया कि सब तरह से हम बलवान हैं दुर्बल हमें कोई ना समझे.’ असली और नकली शंकराचार्य के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति और राज्यपाल नकली नहीं तो इनसे घटिया पद शंकराचार्य का है क्या. उन्होंने आगे कहा कि शासकों पर शासन करने का पद हम लोगों का है।

शंकराचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कहा, ‘जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब से मेरे परिचित हैं। पीएम पद की शपथ लेने से पहले भी वह मेरे पास आए थे मुझसे कहा था कि ऐसा आशीर्वाद दो कि कम से कम भूल कर सकूं और अब वह इतनी बड़ी भूल करने जा रहे हैं.’

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, ‘रामजी शास्त्रीय विधा से प्रतिषिठित नहीं हो रहे हैं इसलिए राम मंदिर उद्घाटन में मेरा जाना उचित नहीं है। आमंत्रण आया कि आप एक व्यक्ति के साथ उद्घाटन में आ सकते हैं. हम आमंत्रण से नहीं कार्यक्रम से सहमत नहीं हैं.’ उन्होंने कहा, ‘प्राण प्रतिष्ठा के लिए मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए। कौन मूर्ति को स्पर्श करे, कौन ना करे. कौन प्रतिष्ठा करे, कौन प्रतिष्ठा ना करे. स्कंद पुराण में लिखा है, देवी-देवताओं की जो मूर्तियां होती हैं, जिसको श्रीमद्भागवत में अरसा विग्रह कहा गया है। उसमें देवता के तेज प्रतिष्ठित तब होते हैं जब विधि-विधान से प्रतिष्ठा हो।

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