KNEWS DESK- आज पूरा देश महात्मा गांधी की 154वीं जयंती मना रहा है। यूं तो महात्मा गांधी के नाम अनगिनत सम्मान हैं लेकिन अहिंसा के पुजारी और शांतिदूत महात्मा गांधी को विश्व का सर्वोच्च सम्मान नोबेल पुरस्कार नहीं मिला। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि महात्मा गांधी को शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए पांच बार नॉमिनेट किया गया था लेकिन जब नार्वेजियन नोबेल कमेटी के सचिव गायर लंडेस्टैड ने खुद कहा कि यह हमारे 106 साल के इतिहास की सबसे बड़ी भूल है।
106 साल पुराने इतिहास की सबसे बड़ी चूक
गायर लंडेस्टैड ने यह स्वीकार किया, ‘निस्संदेह हमारे 106 साल पुराने इतिहास की सबसे बड़ी चूक यही है कि महात्मा गांधी को कभी नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिल सका।’ महात्मा गांधी पांच बार-1946, 1947, 1948 और दो बार द्वितीय विश्व युद्ध के पहले शॉर्टलिस्ट हुए थे। 100 साल से भी अधिक समय से नोबेल पुरस्कार के विजेताओं का चयन करने वाले कमरे में बैठे हुए लंडेस्टैड ने बताया, लेकिन यह एक ऐतिहासिक तथ्य रहेगा कि गांधी को कभी यह सम्मान नहीं मिल सका।’
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1948 में मिलने वाला था गांधी को नोबेल
लंडेस्टैड ने आगे कहा, ‘गांधी नोबेल शांति पुरस्कार के बिना ही इतने सम्मानित हैं। वह नोबेल शांति पुरस्कार के बिना सब कुछ कर सकते हैं लेकिन नोबेल कमेटी उनके बिना क्या कर सकती है, यह एक सवाल है।’ लंडेस्टैड ने इस बात का खुलासा भी किया कि नोबेल कमेटी ने कमोबेश 1948 में गांधी को शांति पुरस्कार देने का फैसला कर लिया था लेकिन उनकी हत्या कर दी गई।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1948 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेशन की आखिर तारीख से दो दिन पहले (30 जनवरी, 1948 को) महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी। उस समय नोबेल फाउंडेशन के क़ानून कुछ परिस्थितियों में मरणोपरांत पुरस्कार दिए जाते थे, लेकिन महात्मा गांधी किसी संगठन से नहीं थे और उन्होंने कोई वसीयत नहीं छोड़ी थी, जिससे यह स्पष्ट नहीं था कि पुरस्कार राशि किसे मिलेगी?
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