नवरात्रि का सातवां दिन है मां कालरात्रि को समर्पित, प्रियजनों को भेजें ये शुभकामना और सुख-सपत्ति के लिए ऐसे करें पूजा

KNEWS DESK : नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है जो मां दुर्गा की सातवां स्वरुप है। इस दिन आप तस्वीरों और संदेश के जरिए बधाई संदेश भेज सकते है।

शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। आज यानी 02 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि है। नवरात्रि में सातवें दिन महासप्तमी पड़ती है। इस दिन मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। सदैव शुभ फल देने के कारण इनको शुभंकरी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए इनका नाम कालरात्रि है। मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली देवी हैं। कहा जाता है जो भी भक्त नवरात्रि के सांतवें दिन विधि-विधान से मां कालरात्रि की पूजा करता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। मां कालरात्रि की पूजा से भय और रोगों का नाश होता है। साथ ही भूत प्रेत, अकाल मृत्यु ,रोग, शोक आदि सभी प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और मंत्र…

नवरात्रि की शुभकामनाएं

सर्व मंगल मांगल्ये
शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी
नारायणी नमोस्तुते
नवरात्रि 2021 की हार्दिक शुभकामनाएं

जब जब याद किया तुझे ए मां
तूने आँचल में अपने आसरा दिया।
कलयुगी इस जहां में, एक तूने ही सहारा दिया
हैप्पी नवरात्रि 2021

जिंदगी की हर तमन्ना हो पूरी
कोई भी आरजू ना रहे अधूरी
करते हैं हाथ जोड़कर मां दुर्गा से बिनती
कि आपकी हर मनोकामना हो पूरी
हैप्पी नवरात्रि 2021

मां कालरात्रि आपको
सुख समृद्धि वैभव ख्याति प्रदान करें.
जय माता दी,नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

पूजा विधि
सप्तमी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए। स्नान के बाद माता के सामने घी का दीपक जलाएं। उन्हें लाल रंग के फूल अर्पित करें। मां कालरात्रि की पूजा में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल, अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य आदि का अर्पण किया जाता है।

इस दिन गुड़ का विशेष महत्व बताया गया है। मां कालरात्रि को गुड़ या उससे बने पकवान का भोग लगाएं। पूजा समाप्त होने के बाद माता के मंत्रों का जाप कर उनकी आरती करें। साथ ही दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

मंत्र

ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: .
ॐ कालरात्र्यै नम:
ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।

ध्यान मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्ल सल्लोहलता कण्टक भूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

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