मां दुर्गा की छठी शक्ति हैं कात्यायनी, जानिए देवी का मंत्र और कथा

knews desk :   चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। 

                       कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
शारदीय नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधि-विधान से की गई पूजा से मां कात्यायनी प्रसन्न होती हैं और मनोकामनाएं पूरी करती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषापुर के वध करने के लिए देवी पार्वती ने मां कात्यायनी का रूप धारण किया था. देवी मां सिंह की सवारी करती हैं. मां कात्यायनी को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली माता माना जाता है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि नवरात्रि के छठवें दिन आप मां कात्यायनी को किस चीज का भोग लगा सकते हैं. कहते हैं मां को शहद बेहद प्रिय है यही वजह है किस दिन शहद से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है.

ऐसे करें देवी की पूजा 

  • सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नानादि कर सभी नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं.
  • फिर देवी की तस्वीर या मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित करें.
  • एक पुष्प हाथ में लें और मां के मंत्र का जाप करें.
  • इसके बाद फूल को मां के चरणों में चढ़ाएं.
  • देवी को लाल वस्त्र, 3 हल्दी की गांठ, पीले फूल, फल, आदि अर्पित करें.
  • मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं. इससे मां प्रसन्न हो जाती हैं.
  • इसके बाद दुर्गा चालिसा का पाठ करें.
  • मां के मंत्रों का जाप करें और आरती का पाठ करें.

देवी कात्यायनी का मंत्र

कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते॥

चन्द्रहासोज्जवलकरा शाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

कथा

पौराणिक कथाओं अनुसार, एक प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती जगदम्बा को पुत्री के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी. कठिन तपस्या के पश्चात् महर्षि कात्यायन के यहां देवी जगदम्बा ने पुत्री रूप में जन्म लिया और वे मां कात्यायनी कहलाईं. इनका प्रमुख गुण खोज करना था. मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं. कहा जाता है कि नवरात्रि के दिन इनकी पूजा करने से साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है. योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है.

About Post Author