Knews Desk, उत्तराखंड में शहर की सरकार चुनने के लिए मतदान पूरा हो चुका है। कल यानी 25 जनवरी को मतदान की काउंटिंग सुबह आठ बजे से शुरू हो जाएगी। देहरादून की बात करें तो यहां रेंजर्स ग्राउंड में मतपत्रों की काउंटिंग होगी। वहीं, हर जिले में अलग-अलग जगह काउंटिंग की जाएगी। एक दिन पहले हुए मतदान में पूरे राज्य में कई जगह अव्यवस्थाओं का अंबार देखने को मिला। कई वोटर अपने नाम मतदाता सूची में न होने के कारण बैरंग लौट गए। पूरे राज्य में मतदाताओं में निकाय चुनाव के मतदान को लेकर उत्साह बना रहा। मतदान प्रक्रिया धीमी होने के कारण कई मतदाता अपना वोट नहीं दे पाए। निर्धारित समय पांच बजे के बाद भी कई वोटर लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे। करीब एक साल तक प्रशासकों के हवाले रहे नगर निकायों में वोटिंग हो चुकी है। बता दें कि उत्तराखंड के 11 नगर निगमों में मेयर के 72 प्रत्याशी मैदान में हैं। वहीं, 89 नगर पालिका व नगर पंचायतों में अध्यक्ष के 89 पदों के लिए 445 और सभी 100 निकायों में पार्षद-वार्ड सदस्य के 1282 पदों के लिए 4888 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। वोटिंग के दौरान उत्तरकाशी के बड़कोट में निर्दलीय प्रत्याशी और भाजपा के समर्थकों के बीच झड़प हो गई। ऐसे ही रुड़की और भगवानपुर में भी हंगामें की तस्वीरें सामने आई। देहरादून के नेहरु काॅलोनी में भी रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ और निर्दलीय प्रत्याशी के बीच तीखी नोंक-झोंक का वीडियो वायरल हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मतदाता सूची में नाम न होने की बात कही। वहीं देर शाम तक इसे लेकर निर्वाचन आयोग ने जवाब दिया कि उनका और उनके परिवार का वोट काटा नहीं गया है। उनका वोट डिफेंस काॅलोनी की मतदाता सूची में दर्ज है जबकि वह माजरा में अपना वोट देने के लिए सूची में नाम ढूंढ रहे हैं। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे भगत सिंह कोश्यारी भी अपना वोट नहीं डाल पाए। उनका नाम मतदाता सूची में गलत दर्ज किया गया है। ऐसे ही तमाम वोटर मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर परेशान रहे। पूरे राज्य में तकरीबन 66 फीसदी मतदान हुआ है। इससे पहले हुए निकाय चुनावों की बात करें तो वर्ष 2008 में 60 फीसदी, 2013 में 61 फीसदी और 2018 में 69.79 फीसदी मतदान हुआ था। वहीं, इस बार करीब 66 प्रतिशत मतदान हुआ है।
लंबे इंतजार के बाद आखिर उत्तराखंड में निकाय चुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। मतदाताओं ने अपने अपने प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कर दिया है। मतपेटियों में एक दिन पहले प्रत्याशियों का भविष्य कैद हो चुका है। 25 जनवरी को मतपत्रों की काउंटिंग के बाद प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा। फिलहाल चर्चाओं का दौर जारी है कौन किस प्रत्याशी को पटखनी दे सकता है। मतदाता सूची में नाम गड़बड़ होने से आमजन से लेकर खास लोग भी परेशान रहे। मतदान के बाद हर प्रत्याशी और उनके समर्थक अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन कल देर शाम तक ही तस्वीर पूरी तरह साफ हो पाएगी। बैलेट पेपर से हुए चुनाव की गिनती में समय अधिक लगने की संभावना जताई जा रही है। भाजपा का कहना है कि वोटर लिस्ट में नाम न होने को लेकर जांच की जाएगी और निर्वाचन आयोग से बात की जाएगी कि वोटर्स का नाम मतदाता सूची से कैसे गायब हुए हैं।
100 नगर निकायों के लिए 23 जनवरी को हुए मतदान में तमाम अव्यवस्थाओं का अंबार लगा रहा। जगह-जगह हंगामें की तस्वीरें निकाय चुनाव के मतदान के दौरान सामने आई हैं। वोटिंग के दौरान मतदाताओं में आक्रोश देखने को मिला। मतदाता सूची में नाम गायब होने या नाम गलत होने के कारण कई वोटर अपने मत का प्रयोग नहीं कर पाए। निकाय चुनाव में एक साल की देरी के बाद भी राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूची की खामियों को पूरी तरह ठीक करने में कहीं न कहीं कामयाब नहीं रहा। ऐसे में लोगों का आक्रोश देखने को मिल रहा हैं। जो हो पर निकाय चुनाव मतदान के इस पर्व में मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है।
कुल मिलाकर प्रदेश में हुए निकाय चुनाव में जमकर जनता ने मतदान किया। देर शाम तक मतदाताओं की लाइन मतदान केंद्रों में देखी गई। मतदाता अपने शहर की सरकार चुनने को लेकर काफी जागरूक देखे गए। युवा हों बुजुर्ग हों या दिव्यांग, हर मतदाता में मतदान के लिए जोश देखा गया। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार दिव्यांग मतदाताओं के लिए विशेष वाहन, व्हील चेयर, वाकिंग स्टिक व रैंप की व्यवस्था की गई थी। पूरे राज्य में 2171 दिव्यांग व निशक्त मतदाताओं को सुगम मतदान के लिए सुविधा उपलब्ध कराई गई। निकाय चुनाव के लिए मतदान करीब-करीब शांतिपूर्ण निपट चुका है। अब इंतजार कुछ घंटों का है जल्द ही शहर की सरकार बनने की प्रक्रिया पूरी होने जा रही है।