ग्लूकोमा से परेशान आज के युवा

देहरादून| देहरादून के दून अस्पताल में शुक्रवार को नेत्र रोग विभाग ने विशेषज्ञों ने पत्रकारों से बात करके ग्लूकोमा के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। विशेषज्ञों के अनुसार ग्लूकोमा यानि काला मोतिया अब 30 से 35 साल के युवाओं को भी हो रहा है। पहले यह सिर्फ 50 से ऊपर के लोगों को ही होता था। एमएस वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ युसुफ रिजवी ने कहा है कि एक सप्ताह में ही 400 मरीजों के पर्दे, प्रेशर, गोनियोस्कॉपी की सारी जांच मुफ्त में की गई है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सुनील ओझा के कहा की ग्लूकोमा के मरीज कड़ी तेजी से बढ़ रहे है। आए दिन 90 से 120 की ओपीडी में 20 से 25 मरीज सिर्फ ग्लूकोमा के ही है। इसमें 30 से 40 साल की उम्र के भी पाँच से छह मरीज है। कुछ मरीज तो 25 से 30 साल के भी आए है। डॉ ओझा के मुताबिक कोरोना में स्टेरॉयड का काफी ज्यादा इस्तेमाल करने से इसका सीधा प्रभाव आंखों पर दिखाई दिया है। जिससे की आंखों के मरीजों की संख्या काफी बढ़ रही है। उनका यह भी कहना है की जिन लोगों ने कोरोना में स्टेरॉयड लिया है उनको ग्लूकोमा की जांच जरूर करवानी चाहिए। डॉक्टरों का कहना है की जिन लोगों को शुगर और बीपी की बीमारी है उन सबको भी ग्लूकोमा का खतरा ज्यादा रहता है। सबको हर एक साल में आंखों की जांच जरूर करवानी चाहिए। ग्लूकोमा के इलाज से आंखों पर दबाव इंट्राओकूलर प्रेशर को काम किया जाता है और इसके लिए आईड्रॉपस, दवाई, लेजर या सर्जरी भी करवानी पढ़ती है। नेत्र रोग विशेषज्ञों के कहा ही यदि आंखों में जलन या दर्द है तो डॉक्टर की सलाह से ही आईड्रॉप या कोई भी दवाई ले, काम के बीच में ब्रेक भी जरूर लेनी चाहिए। जहा भी काम करना है वहा पर पूरी रोशनी होनी चाहिए ताको आंखों पर ज्यादा जोर ना पड़े। आंखोंके लिए व्यायाम करना चाहिए और हर रोज सुबह उठ कर आंखों को ताजे रानी से जरूर धोना चाहिए।

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