चारधाम की तैयारी, नाराजगी है जारी !

देहरादून,  देश और दुनिया में प्रसिद्ध उत्तराखंड की चारधाम यात्रा 22 अप्रैल से शुरू होने जा रहे है। धामी सरकार यात्रा को सफल बनाने की तैयारीयों में जुटी है…. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस सम्बन्ध में उच्च अधिकारियों की बैठक भी ली… जिसमें यात्रा को सफल बनाने पर चर्चा की गई एक तरफ जहां राज्य सरकार चारधाम यात्रा को सफल बनाने की तैयारियों में जुटी हुई है…तो वहीं दूसरी तरफ चारधाम यात्रा में यात्रियों की संख्या सीमित करने के फैसले से तीर्थ पुरोहित, होटल और ढाबा कारोबारियों में नाराजगी है…हालांकि मुख्यमंत्री धामी ने इन सभी की एक मांग को तो पूरा कर लिया है जिसके तहत स्थानीय लोगों के लिए पंजीकरण की अनिवार्यता को समाप्त कर लिया है…लेकिन चारधाम यात्रा में यात्रियों की संख्या सीमित करने के फैसले से तीर्थ पुरोहित, होटल और ढाबा कारोबारियों में नाराजगी है…वही कांग्रेस ने भी राज्य सरकार से यात्रियों की सीमित संख्या के फैसले को वापस लेने की मांग की है

देश और दुनिया में प्रसिद्ध उत्तराखंड की चारधाम यात्रा 22 अप्रैल से शुरू होने जा रहे है। धामी सरकार यात्रा को सफल बनाने की तैयारीयों में जुटी है…. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस सम्बन्ध में उच्च अधिकारियों की बैठक भी ली… जिसमें यात्रा को सफल बनाने पर चर्चा की गई एक तरफ जहां राज्य सरकार चारधाम यात्रा को सफल बनाने की तैयारियों में जुटी हुई है…तो वहीं दूसरी तरफ चारधाम यात्रा में यात्रियों की संख्या सीमित करने के फैसले से तीर्थ पुरोहित, होटल और ढाबा कारोबारियों में नाराजगी है…हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि कोई नाराजगी नहीं है और सरकार ने चारधाम यात्रा के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है यात्रा सरल एवं सुगम होगी वही चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के महासचिव डा बृजेश सती ने राज्य सरकार से सीमित संख्या के फैसले को वापस लेने की मांग की है
आपको बता दें कि बदरीनाथ के कपाट 27 अप्रैल, केदारनाथ धाम के कपाट 26 अप्रैल जबकि 22 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलेंगे। देश-दुनिया से आने वाले तीर्थयात्रियों की यात्रा को सुगम बनाने के लिए धामी सरकार तैयारियों में जुटी है। धामी सरकार ने चारधाम और यात्रा मार्गों पर स्वास्थ्य सेवाओं के सुधारिकरण के लिए केन्द्र सरकार से 500 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत करने की मांग की है। साथ ही सरकार ने अन्य सुविधाओं को पूरा करने के निर्देश भी अधिकारियो को दिए है…वही विपक्ष ने भी तीर्थ पुरोहित, होटल और ढाबा कारोबारियों की नाराजगी को जायज बताते हुए राज्य सरकार से यात्रियों की सीमित संख्या के फैसले को वापस लेने की मांग की है
कुल मिलाकर एक तरफ जहां संख्या सीमित होने से होटल-ढाबा कारोबारी परेशान है….उनका कहना है कि ऋण लेकर कारोबार करने वालों को काफी नुकसान होगा….साथ ही कश्मीर में पर्यटन खुल जाने से यात्रियों की संख्या इस साल कम हो सकती है। तो दूसरी तरफ सरकार का तर्क है कि संख्या सीमित न होने से चारों धामों में जुटने वाली भीड़ से दुर्घटना का खतरा हो सकता है…भौगोलिक कठिनाइयों और सीमित सुविधाओं के चलते व्यवस्था प्रभावित होगी..सीमित संख्या का भीड़ प्रबंधन करना आसान होगा और यात्री मंदिरों में सुरक्षित और सहज ढंग से दर्शन कर सकेंगे। देखना होगा आगे सरकार इस विरोध के बाद क्या अपना फैसला वापस लेगी या नहीं

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