उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराये जाने को लेकर फिर एक बार चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव घोषित न करने को लेकर कल हुई सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया कि मतदाता सूची पूरी तरह तैयार कर ली गई लेकिन पंचायतों में आरक्षण पर निर्णय राज्य सरकार को लेना है। जिसपर कोर्ट ने चुनाव आयोग को 19 मई तक अपना मत पेश कर यह स्पष्ट करने को कहा है कि वे प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कब तक कराए जाएंगे। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 19 मई की तिथि नियत की है। वही त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की सुगबुगाहट के बीच सरकार ने तीन बच्चों वाले नियमों में लोगों को राहत दे दी है। अब तीन बच्चों वाले लोग भी पंचायत चुनाव लड़ सकेंगे, लेकिन यह नियम 25 जुलाई 2019 या उसके बाद पैदा हुए तीसरे बच्चे वाले माता पिता पर लागू नहीं होगा। ये लोग पंचायत चुनावों में उम्मीदवार बनने के हकदार नहीं होंगे। साथ ही लंबे समय से चुनावों की तैयारियां कर रहे लोगों की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया। नतीजा यह हुआ कि इन लोगों ने बाहर से ही अपने उम्मीदवारों को समर्थन देकर चुनाव लड़वाए। कई स्तर पर नाराजगी भी देखने को मिली। लोगों ने सरकार तक विभिन्न माध्यमों से अपनी बात पहुंचाई। अब जाकर करीब छह साल बाद सरकार ने इसमें बड़ी राहत दी है। अब इस नियम को थोड़ा सरल कर दिया गया है। तीन बच्चों वाला नियम अब 2019 या उसके बाद पैदा हुए बच्चों के माता पिता पर लागू होगा। इस संबंध में सरकार अध्यादेश लाई थी, जिसकी अधिसूचना शुक्रवार को जारी की गई है। वही विपक्षी पार्टी कांग्रेस का कहना है कि चुनाव को लेकर सरकार की नियत साफ दिखती है. पिछले नगर निकाय चुनावों में भी बीजेपी सरकार ने कई बार प्रशासकों का समय बढ़ाया। वही काम काम अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर कर रही है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट में कई लोगों ने जनहित याचिकाएं दायर कर कहा है कि प्रदेश के सभी जिलों की ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पिछले साल 28 नवंबर 2024 को समाप्त हो चुका है। जबकि क्षेत्र पंचायतों का 30 नवंबर 2024 और जिला पंचायतों का दो दिसंबर 2024 को समाप्त हो चुका है। नियमानुसार इन सभी सीटों पर इससे पहले चुनाव हो जाने थे। लेकिन त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने से पहले कई परिस्थितियों के कारण चुनाव नहीं कराए जा सके। जिसके बाद शासन ने पहले सहायक विकास अधिकारी पंचायत को और फिर निवर्तमान ग्राम प्रधानों को प्रशासक नियुक्त करने का आदेश जारी किया था। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक ग्राम और क्षेत्र पंचायतों में छह महीने के लिए नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल इसी महीने खत्म हो रहा है। आपको बता दे हरिद्वार जिले को छोड़कर प्रदेश में चुनाव ना हो पाने के चलते पंचायतों को प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था. ऐसे में अब त्रिस्तरीय पंचायतों में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल इसी मई महीने में ही समाप्त हो रहा है. ऐसे में अब राज्य सरकार पंचायत में तैनात प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने के मूड में नजर नहीं आ रही है। राज्य सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराये जाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाने की रणनीति तैयार कर ली है। त्रिस्तरीय पंचायत का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अभी तक चुनाव ना हो पाने की मुख्य वजह यही है कि पंचायती राज एक्ट का संशोधन और ओबीसी आरक्षण का निर्धारण नहीं हो पाया है। सरकार को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में ही राजभवन से ओबीसी आरक्षण की मंजूरी मिल जाएगी. राजभवन से ओबीसी आरक्षण को मंजूरी मिलने के बाद आरक्षण की सूची तैयार करते हुए जिलाधिकारी की ओर से पंचायत के आरक्षण की सूची जारी कर दी जाएगी. साथ ही जिलाधिकारी की ओर से आरक्षण सूची से संबंधित आपत्ती मांगते हुए उसका निस्तारण किया जाएगा। इसके बाद चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
आपको बता दें कि पंचायती राज अधिनियम में प्रावधान किया गया था कि 27 सितंबर 2019 के बाद जिसकी दो से अधिक संतान होंगी वो पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेगा. इस प्रावधान के बाद मामला न्यायालय में चला गया. इसके बाद न्यायालय ने जुड़वा संतान को इकाई संतान मानने संबंधित आदेश दिए थे। इसके बाद शासन ने भी आदेश जारी कर दिए लेकिन इसमें कट ऑफ डेट 25 जुलाई 2019 अंकित था जिसके चलते एक विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। जिसमें संशोधन किए जाने को लेकर सरकार द्वारा निर्णय लिया गया. ऐसे में पंचायती राज विभाग ने अधिनियम में संशोधन कर प्रस्ताव शासन को भेज दिया. जिसके बाद इस अध्यादेश को राजभवन भेजा गया. जिस पर मंजूरी मिल गई है वही चारधाम यात्रा की व्यवस्था में गढ़वाल की पूरी मशीनरी जुटी हुई है. इसके साथ ही आपदा को देखते हुए भी चुनाव की तैयारी विभाग को करनी है। ऐसे में इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए चुनाव की तैयारियो को लेकर प्रभाव पड़ सकता है।
आपको बता दें कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव मामले में उत्तराखंड सरकार घिर गई है। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सरकार से पूछा है कि पंचायत चुनाव कब तक कराए जाएंगे। पंचायत चुनाव और उसमें प्रशासकों की तैनाती को चुनौती देने वाली मदन सिंह समेत आधा दर्जन याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में सुनवाई हुई। साथ ही निवर्तमान ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों और जिला पंचायत अध्यक्षों को ही प्रशासक घोषित कर दिया गया। यह भी आरोप लगाया गया कि सरकार प्रशासकों का दुबारा कार्यकाल बढ़ाने जा रही है। अंत में अदालत ने कड़े रुख में सरकार को निर्देश दिए कि वह बताएं कि कब तक चुनाव कराए जा सकेंगे। इस मामले में खंडपीठ आगामी 20 मई यानी मंगलवार को सुनवाई करेगी। सम्भवता इस सुनवाई में पंचायत चुनाव को लेकर बड़ा डिसीजन नैनीताल हाई कोर्ट से देखने को मिल सकता है।