उत्तराखंड: निकाय चुनाव पास, अपना शहर कितना साफ ?

उत्तराखंड- उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर मची रार के बीच स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार-2023 की घोषणा कर दी गई है। जिसमें मध्य प्रदेश का इंदौर लगातार सातवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बना है। जबकि राज्यों की श्रेणी में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है। वहीं उत्तराखंड राज्य की बात करें तो शहरों को साफ रखने के मामले में उत्तराखंड, देश के 27 राज्यों के बीच 19वें स्थान पर है। इस साल महज दो निकायों देहरादून और मुनिकीरेती को पुरस्कार मिलने से सफाई के मोर्चे पर उत्तराखंड का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। बता दें कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2023 प्रदान किए। वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर व सूरत को देश के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में चुना गया। नवी मुंबई तीसरे स्थान पर रहा। शानदार प्रदर्शन वाले राज्यों की श्रेणी में महाराष्ट्र ने पहला स्थान हासिल किया, जिसके बाद एमपी व छत्तीसगढ़ रहे। वहीं एक लाख से कम आबादी वाले सभी शहरों की श्रेणी में महाराष्ट्र के सासवड को सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार मिला। देहरादून नगर निगम को एक लाख से अधिक आबादी और मुनिकीरेती नगर पालिका को एक लाख से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में राज्य के सबसे स्वच्छ शहर के तौर पर पुरस्कार मिला है। वहीं देहरादून की बात करें तो दून स्वच्छता सर्वेक्षण में इस बार एक कदम ही आगे बढ़ा। देशभर के 446 शहरों में किए गए इस सर्वेक्षण में देहरादून को 68वीं रैंक मिली। जबकि, पिछले साल देहरादून 69वीं रैंक थी। वहीं इस स्वच्छ सर्वेक्षण के सामने आने के बाद राज्य में सियासत गरमा गई है। विपक्ष ने स्वच्छ सर्वेक्षण में उत्तराखंड के प्रदर्शन को बेहद निराशाजनक बताया है जबकि सत्तापक्ष का कहना है कि राज्य ने बेहतर प्रदर्शन किया है। देहरादून ने एक कदम आगे बढ़ते हुए 68वी रैंक हांसिल की है। सवाल ये है कि क्या करोड़ों खर्च के बावजूद एक ही कदम आगे बढ़ने को राज्य की उपलब्धि माना जाए।

स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार-2023 की घोषणा हो गई है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2023 प्रदान किए। नई दिल्ली में आयोजित समारोह में शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, निवर्तमान मेयर सुनील उनियाल गामा, नगर निगम प्रशासक और जिलाधिकारी डॉ सोनिका ने पुरस्कार ग्रहण किया। बता दें कि शहरों को साफ रखने के मामले में उत्तराखंड, देश के 27 राज्यों के बीच 19वें स्थान पर है। इस साल महज दो निकायों देहरादून और मुनिकीरेती को पुरस्कार मिलने से सफाई के मोर्चे पर उत्तराखंड का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। वहीं राज्य के शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने स्वच्छता सर्वेक्षण में पुरस्कार प्राप्त करने पर नगर निगम देहरादून और नगर पालिका मुनिकीरेती-ढालवाला को बधाई दी है। जबकि विपक्ष ने उत्तराखंड के प्रदर्शन को बेहद निराशाजनक बताया है।

वहीं उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की बात करें तो दून स्वच्छता सर्वेक्षण में इस बार एक कदम ही आगे बढ़ा। देशभर के 446 शहरों में किए गए इस सर्वेक्षण में देहरादून को 68वीं रैंक मिली। जबकि, पिछले साल देहरादून 69वीं रैंक थी। सूत्रों के मुताबिक, दून नगर निगम की उम्मीदों को सबसे बड़ा झटका गार्बेज फ्री सिटी में कम अंक मिलने से लगा। जबकि शहर को टॉप-50 में लाने का सरकार का लक्ष्य था और इसे लेकर दून नगर निगम की ओर से पदयात्रा निकाली गई। जागरूकता को लेकर भी कदम उठाए गए, मगर सफाई व्यवस्था के मूल काम जमीन पर नहीं दिखे। घरों से कूड़ा उठान की व्यवस्था भी पूरी तरह लागू न हो सकी। इस बीच स्वच्छता समितियों में कर्मचारियों की नियुक्ति पर ही सवाल खड़े हो गए, जिस कारण नगर निगम मिशन में कामयाब नहीं हो सका हांलाकि निवर्तमान मेयर सुनील उनियाल गामा का कहना है कि दून ने बेहतर प्रदर्शन किया है और उन्होंने जो वादे जनता से किए हैं उन वादों को पूरा किया। वहीं बीजेपी भी नगर निगम देहरादून के कार्यों की सराहना कर रही है।

कुल मिलाकर उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर मची रार के बीच स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार-2023 की घोषणा के बाद विपक्ष को हमला करने का एक और मुद्दा मिल गया है और विपक्ष ने उत्तराखंड के प्रदर्शन को बेहद निराशाजनक बताया है जबकि सत्तापक्ष इस प्रदर्शन को उपलब्धि बता रहा है। निश्चित ही देहरादून ने इस सर्वेक्षण में एक कदम तो आगे बढ़ाया है लेकिन टॉप 50 में आने का सपना साकार नहीं हो पाना भी एक विफलता है देखना होगा आगे स्वच्छ स्वेक्षण में उत्तराखंड कितना सुधार कर पाता है?

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