पार्टियों में कब पार्टी के सदस्य अलग हो कर दूसरी पार्टी में चले जाएं किसी को पहले से पता नही चलता है. जी हां आजकल ऐसा देखने को खूब दिख रहा है. इसी कड़ी में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में भी देखने को मिल रहा है. जहां उनके चाचा पशुपति कुमार पारस उनसे अलग हो गए हैं.
दरअसल लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में फूट के बाद चिराग पासवान बुधवार को पहली बार मीडिया के सामने आए. उन्होंने चाचा पशुपति कुमार पारस पर पलटवार करते हुए कहा कि पार्टी ने समझौते की बजाय संघर्ष का रास्ता चुना था. पिता के मौत के बाद उन्होंने परिवार और पार्टी दोनों को लेकर चलने का काम किया. इसमें संघर्ष था. जिन लोगों को संघर्ष का रास्ता पसंद नहीं था, उन्होंने ही धोखा दिया. चाचा बोलते, तो पहले ही संसदीय दल का नेता बना देता. ना बोलकर इतना बड़ा फैसला ले लिया औऱ कुछ कहने से भी कतरा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि LJP को पहले भी तोड़ने की कोशिश की गई थी. मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं. शेर का बेटा हूं. पार्टी पापा की सोच के साथ मजबूती के साथ आगे बढ़ेगी. मुझे यह अधिकार पार्टी का संविधान ही देता है. कोई भी संगठन इसके अनुरूप ही चलता है. काम हर किसी को संविधान में रह कर ही करना पड़ता है जो कार्य अब किया जा रहा है वह सब गलत है.
इसके अलावा उन्होेने कहा कि ऐसा नही है कि मै अकेले ही कार्य करने की सोचता हूँ अगर ऐसा होता तो मैं जब चाचा से मिलने गया जबकि मैं शारिरीक रुप से स्वास्थ्य नही था फिर भी मैं उनसे मिलने गया इतने देर खड़ा रहा. मैं चाहता हूँ कि सबको साथ लेकर चलूँ. अखिर बात क्या है वो मुझसे बताएं. जब पापा का निधन हुआ था तब मैं अनाथ नही था. अनाथ तो मैं अब हो गया हूँ. सबने बीच में साथ छोड़ दिया है.
वहीं उन्होनें कहा कि नीतिश कुमार से मेरी पर्सनली कोई भी दुश्मनी नही है. मै तो बस उनके कानूनों उसूलों के खिलाफ हो. इसलिए मै इस बार काफी सोच विचार करने के बाद पार्टी से अलग हो गया था. अलग होकर भी हमारी पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया. जनता ने हमने बहुत भरोसा करके वोट दिया. मेरी पार्टी कभी भी उनके विश्वास को नही तोड़ूँगा.