Uttar Pradesh Election 2022 : क्या तिकोनिया कांड ने बदल दिए सारे समीकरण

यूपी में चुनावों का खुमार सबके सिर चढ़ कर बोल रहा है । 7 चरणों का यह चुनाव हर दिन नतीजों की ओर बढ़ रहा है । यूपी में 3 चरणों में 172 सीटों पर जनता अपना फैसला ले चुकी है। अब बारी है चौथे चरण की जिसमें 9 जिलों की 59 सीटों पर मतदान 23 फरवरी को होना है। चौथे चरण में 624 प्रत्याशियों समेत तमाम बड़े चेहरों की साख दांव पर है। चौथे चरण की बात करें तो हर सीट अपने आप में अहम है। लेकिन बात करें लखीमपुर खीरी की तो चुनावों से भी पहले कई बार लखीमपुर खीरी चर्चा में रह चुका है। लखीमपुर खीरी के चुनावों पर सबकी निगाहों बनी हुई है। क्योंकि लखीमपुर खीरी की सियासत में तमाम मुद्दे है जिन्हें ध्यान में रखते हुए जनता वोट की चोट करेगी।

लखीमपुर खीरी में हुआ तिकोनिया कांड लंबे समय तक चर्चा में बना रहा। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के ऊपर किसानों को कार से कुचलकर मौत के घाट उतारने का गंभीर आरोप है। किसानों में इस घटना को लेकर रोष व्यापत रहा। इसके लिए मंत्री के बेटे को जेल भी हुई, लेकिन कुछ समय के बाद मंत्री का बेटा जमानत पर रिहा हो गया। इस बात से किसानों में गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। रही सही कसर विपक्ष ने पुरी कर दी, विपक्ष लगातार यह इलजाम लगाता रहा कि बीजेपी अजय मिश्रा टेनी का बचाव कर रही है। इन तमाम बातों से किसानों में बीजेपी को लेकर नाराजगी बनी हुई है। तिकोनिया कांड के मुख्य आरोपी केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा का जमानत पर रिहा होना लखीमपुर खीरी का इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। अब यह मुद्दा लखीमपुर खीरी में किस करह से समीकरणों को प्रभावित करता है और इस मुद्दे का किसे फायदा होता और किसे नुकसान यह तो 10 मार्च को नतीजों के साथ साफ हो पाएगा ।
2017 के चुनावों पर नजर डाले तो इस जिले की सभी 8 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। विपक्ष के खाते में एक भी सीट नहीं आई थी, लेकिन किसान आंदोलन के बाद तिकोनिया कांड ने समीकरण बदल दिए। इस बार बीजेपी के लिए क्लीन स्वीप करके शानदार जीत दर्ज कर पाना कड़ी चुनौती बन सकता है। इस बार जहां एक तरफ भाजपा ने आठ में से सात सीटों पर अपने सिटिंग विधायकों को टिकट दिया है। तो वहीं सपा चार पुराने और चार नए चेहरों के साथ चुनावी मैदान में मौजूद है और बसपा ने जिन आठों सीटों पर प्रत्याशी उतारे है, वहां सपा और भाजपा के बागियों को भी जगह दी हई है । अब 2022 के रण में लखीमपुर खीरी में कितनी सीटें किसके हिस्से आती है । इसके लिए 10 मार्च का इंतजार करना होगा, लेकिन इसमें कोइ शक नहीं कि किसानों के कई मुद्दे और तिकोनिया कांड को लेकर जनता में नाराजगी ने लखीमपुर खीरी में चुनावों को और भी दिलचस्प बना दिया है ।

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