उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा विधायक महेश जीना की दबंगई ने भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है। दअरसल नगर निगम में टेंडर संबंधी जानकारी लेने पहुंचे सल्ट विधानसभा से भाजपा विधायक महेश जीना पर नगर आयुक्त और अन्य अधिकारियों से अभद्रता का आरोप है। इसके विरोध में नगर निगम कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। जानकारी के मुताबिक विधायक महेश जीना मंगलवार को सहायक नगर आयुक्त एसपी जोशी के कार्यालय पहुंचे। जिसके बाद उन्होने डंप कूड़े के निस्तारण के टेंडर में एक कंपनी को बाहर करने को लेकर जानकारी मांगी। जिस पर एसपी जोशी ने लिपिक पवन थापा से कहा कि वह विधायक की मुलाकात टेंडर की प्रक्रिया में लगी कंपनी के कर्मचारियों से करवा दें। आरोप है कि इसी बात को लेकर विधायक भड़क गए। कर्मचारियों का आरोप है कि उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग विधायक ने किया। नाराज कर्मचारी नगर आयुक्त को मामले की जानकारी देने पहुंचे। इसके बाद विधायक भी समर्थकों के साथ नगर आयुक्त के कार्यालय में आ गए। आरोप है कि कार्यालय में प्रवेश करते ही वह नगर आयुक्त पर भी भड़क गए…वही इस घटना का वीडियो वायरल होने पर राज्य में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का आरोप है कि विधायक ने अपने बेटे का टेंडर ना होने की वजह से अधिकारियों से अभद्रता की हांलाकि विधायक ने इन सभी आरोपों से इंकार करते हुए माफी मांगने से भी साफ इंकार कर दिया है। वहीं इस मामले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने जांच बैठा दी है। मुख्यमंत्री ने गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय को मामले की जांच सौंपकर रिपोर्ट देने को कहा है….
उत्तराखंड में अफसरशाही और विधायकी एक बार फिर आमने सामने आ गई हैं। दअरसल बीजेपी विधायक महेश जीना पर नगर आयुक्त और नगर निगम में कर्मचारियों से बदसलूकी का आरोप लगा है, इसके बाद गुस्साए कर्मचारी हड़ताल पर गए… कर्मचारियों का आरोप है कि विधायक ने पहले कर्मचारियों के साथ गाली गलौच की और फिर नगर आयुक्त के साथ बदसलूकी की. हालांकि भाजपा विधायक ने बदसलूकी के आरोपों को नकारा है. वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले का संज्ञान लेते हुए गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडे को जांच के निर्देश दिए हैं. 15 दिन में प्रकरण की रिपोर्ट देने के लिए कहा है…वहीं विधायक महेश जीना ने साफ कर दिया है कि वह अपने इस व्यवहार के लिए माफी नहीं मांगेंगे। जबकि कांग्रेस ने भाजपा विधायक पर सत्ता के अहंकार का आरोप लगाया है।
आपको बता दें कि देहरादून की सहस्त्रधारा रोड पर पुराना कूड़ा हटाने के लिए टेंडर निकाले गए थे. जिसमें अल्मोड़ा की सल्ट विधानसभा से विधायक महेश जीना के करीबी की कंपनी ने भी हिस्सा लिया. कहा गया कि टेंडर की शर्तें पूरी नहीं करने की वजह से महेश जीना के परिचित की कंपनी को बाहर कर दिया गया. बताया जा रहा है कि विधायक नगर निगम में टेंडर संबंधी जानकारी लेने पहुंचे थे इसी दौरान विधायक महेश जीना की नगर आयुक्त और अन्य अधिकारियों से बहसबाजी हो गई। वहीं भाजपा विधायक महेंद्र भट्ट ने इस घटना पर कहा कि जनप्रतिनिधियों को शालिन्ता का परिचय देना चाहिए और ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए
कुल मिलाकर उत्तराखंड में विधायकी और अफसरशाही का विवाद कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई मामले ऐसे सामने आ चुके हैं। वहीं राज्य में आलम ये है कि कई बार विधायकों ने अफसरशाही हावी होने की बात कही है। और विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाया है। वहीं कुछ दिन पूर्व ही राज्य की मुख्य सचिव को पत्र जारी करते हुए नौकरशाहों को निर्देश देने पड़े थे की सांसदों और विधायकों के प्रॉटोकॉल का पालन करें..इसी बीच बीजेपी विधायक और नगर आयुक्त की अभद्रता ने इस मुद्दे को हवा देदी है कि क्या राज्य में अफसरशाही हावी है। क्या जनप्रतिनिधियों को भी अपने आचरण में बदलाव नहीं लाना चाहिए देखना होगा इस मामले में राज्य सरकार क्या कार्रवाई करती है