रिपोर्ट – कान्तापाल
नैनीताल, इन दिनों नैनीताल में शारदीय नवरात्रों की धूम है, सुबह से ही नैनीताल की नयना देवी में स्थानीय लोगों के साथ सैलानी भी मां नयना की पूजा अर्चना कर रहे हैं. सब अपनी खुशहाली के लिये भी मां नयना में पूजा पाठ कर रहे हैं। नवरात्रों के मौके पर मन्दिर में लगी मां के भक्तों की भीड़ मां के प्रति उनकी आस्था को भी व्यक्त कर रही है। पूरे दिन भर मां के दरबार में घंटियों की गूंज के साथ मां नयना के जयकारे भी सुनाई दे रहे हैं। मां के प्रति लोगों की ऐसी आस्था है कि श्रद्धालु मां के दरबार में खिंचे चले आ रहे हैं।
नैनीताल की नयना देवी देश के 52 शक्तिपपीठों में शुमार हैं। कहा जाता है कि राजा दक्ष ने जब अपने घर में यज्ञ करवाया तो अपनी बेटी सती व दामाद शिव को इसका न्यौता नहीं दिया। गुस्से में आकर मां सती अपने पिता के घर गयीं और पिता से कहासुनी होने पर हवन कुण्ड में अपने प्राणों की आहूति दे दी। जब शिव सती के जले शरीर को आकाश मार्ग से गुजर रहे थे तो नैनीताल में मां सती की बायीं आंख गिरी तभी से ही मां नयना की पूजा यहां की जाती है। इसके साथ ही जहां मां का जो अंग गिरा उसकी पूजा उसी जगह की जाती है। मां सती के आंख के यहां गिरने से ही यहां का नाम भी नैनीताल पड़ा। यही कारण है कि झील की आकृति भी आंख की तरह से ही बनी है। मान्यता है कि यहां देवी के दर्शन मात्र से नेत्र से जुड़ी समस्याएं लोगों की दूर हो जाती है। मां नयना के प्रति अपार आस्था जुड़ी होने के साथ मनोकामना भी पूरी होती है।
बहरहाल मां नयना के प्रति लोगों की अपार आस्था है। यही कारण है कि नवरात्रों के दौरान मां नयना की पूजा के लिये देश की नहीं विदेशों के भी सैलानी यहां पहुँचते हैं। शारदीय नवरात्रों के लिये कहा जाता है कि जो भी मां के दरबार में सच्चे मन से पूजा करता है उसकी मनोकामना हमेशा ही पूरी होती है।