रिपोर्ट में कितना दम ,बेरोजगारी और गरीबी कम !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, पहाड़ प्रदेश उत्तराखंड में पहाड़ की अबतक की सभी सरकारे पहाड़ के विकास के दावे तो बहुत करती है लेकिन धरातल पर ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है.. ऐसा ही कुछ धामी सरकार की आर्थिक सर्वेक्षण की सदन में पेश हुई रिपोर्ट में भी सामने आया हैं। जहाँ प्रति व्यक्ति आय में मैदान से एक दशक पीछे पहाड़ चला गया है। रिपोर्ट के अनुसार पहाड़ के जिलों की प्रति व्यक्ति आय जो आज के समय है. वह मैदान के जिलों में एक दशक पहले थी। पहाड़ के जनपदो की बात करें तों उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी, पौड़ी, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चंपावत की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2020-21 में एक लाख के आसपास थी। जबकि देहरादून और हरिद्वार की प्रति व्यक्ति आय साल 2011-12 में इससे भी ज्यादा थी। हरिद्वार में तो एक दशक पहले भी पहाड़ के इन जिलों की मौजूदा से ज्यादा प्रति व्यक्ति आय थी। रुद्रप्रयाग और बागेश्वर आज भी ऐसे जिले हैं जिनकी प्रति व्यक्ति आय अभी तक एक लाख भी नहीं पहुंच पाई है। आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है की उत्तराखंड में सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति आय वाला जिला हरिद्वार है..
वहीं आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में उद्योग पांच गुना जबकि निवेश 20 और नौकरियां आठ गुना तक बढ़ीं है। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की बेरोजगारी की दर घटकर 4.9 प्रतिशत हुई है पिछले वर्ष राज्य की बेरोजगारी दर 8.4 प्रतिशत थी जो अब घटकर 4.9 प्रतिशत रह गई है। हालांकि सेवायोजन कार्यालयों के पंजीकरण के अनुसार राज्य में कुल नौ लाख के करीब बेरोजगार युवा हैं। वही आर्थिक सर्वेक्षण में उत्तराखंड की विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं पर रोक को लेकर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, इससे विकास बाधित हो रहा है और रोजगार पर भी वितरीत असर पड रहा है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण और सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड की कुल 44 जल विद्युत परियोजनाओं पर रोक लगाई है। इनके बनने से तकरीबन पांच हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकता था। वही आर्थिक सर्वेक्षण में उत्तराखंड के पर्यटन सेक्टर में अगले कुछ सालों में 20 लाख नई नौकरियां आने की संभावना है। धामी सरकार ने पर्यटन क्षेत्र में वर्ष 2030 तक 40 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा है, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। वही सदन में पेश हुई आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के बाद राज्य में सियासत भी गम गई है. सवाल ये है कि क्या भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने पहाड़ की सरकार होने के बावजूद पहाड़ पर ध्यान नहीं दिया.

 

देवभूमि उत्तराखंड में पिछले एक साल के दौरान प्रदेश की आर्थिक विकास दर में बढ़ोतरी हुई है तो वही बेरोजगारी दर में भी गिरावट आई है । साथ ही राज्य के 9.17 लाख लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले है। यह खुलासा2023-2024 के आर्थिक सर्वेक्षण से हुआ है। इस अवधि में बेरोजगारी दर में भी गिरावट दर्ज की गई है। धामी सरकार ने  विधानसभा के पटल पर यह रिपोर्ट रखी। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड राज्य की आर्थिक विकास दर 2023-24 में 58% होने का अनुमान है। इसके साथ ही राज्य की प्रतिव्यक्ति आय में 12.64% बढ़ोतरी की भी संभावना जताई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में उद्योग पांच गुना जबकि निवेश 20 और नौकरियां आठ गुना तक बढ़ीं है। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की बेरोजगारी की दर घटकर 4.9 प्रतिशत हुई है पिछले वर्ष राज्य की बेरोजगारी दर 8.4 प्रतिशत थी जो अब घटकर 4.9 प्रतिशत रह गई है। वही आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के बाद पक्ष विपक्ष के आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गए है

वही आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है की प्रति व्यक्ति आय में मैदान से एक दशक पीछे पहाड़ चला गया है। रिपोर्ट के अनुसार पहाड़ के जिलों की प्रति व्यक्ति आय जो आज के समय है. वह मैदान के जिलों में एक दशक पहले थी। पहाड़ के जनपदो की बात करें तों उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी, पौड़ी, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चंपावत की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2020-21 में एक लाख के आसपास थी। जबकि देहरादून और हरिद्वार की प्रति व्यक्ति आय साल 2011-12 में इससे भी ज्यादा थी। हरिद्वार में तो एक दशक पहले भी पहाड़ के इन जिलों की मौजूदा से ज्यादा प्रति व्यक्ति आय थी। रुद्रप्रयाग और बागेश्वर आज भी ऐसे जिले हैं जिनकी प्रति व्यक्ति आय अभी तक एक लाख भी नहीं पहुंच पाई है। आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है की उत्तराखंड में सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति आय वाला जिला हरिद्वार है..

कुल मिलाकर आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने पहाड़ प्रदेश उत्तराखंड में पहाड़ की अबतक की सभी सरकारों के पहाड़ के विकास के दावो की पोल खोल दी है। सदन में पेश हुई रिपोर्ट में सामने आया हैं की जहाँ प्रति व्यक्ति आय में मैदान से एक दशक पीछे पहाड़ चला गया है। तों वही पहाड़ो से पलायन भी लगातार जारी है… सवाल यह है कि बिना पहाड़ के विकास आखिर प्रदेश का ये कैसा विकास हो रहा है

 

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