इस साल 10 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है और इसका समापन 25 सितंबर को होगा पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पितरों को याद करके उनका पूजन करते हैं उनके लिए श्राद्ध कर्म करते हैं हिंदू धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व होता है श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धापूर्वक किया हुआ वह संस्कार, जिससे पितरों को संतुष्टि प्राप्त होती है कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान सभी पितर पृथ्वी लोक में वास करते हैं और अपने परिवार वालों को आर्शीवाद देते हैं पितृ पक्ष के दौरान पितर ये उम्मीद करते हैं कि उनकी संतानें उनके लिए श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान आदि करेंगे, क्योंकि इन कार्यों से वे तृप्त हो जायेंगे
पितृ पक्ष के दौरान क्या करें?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृपक्ष में अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए वहीं यदि आप अपने पितरों को तर्पण करते हैं, तो ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें मान्यता है कि कुश का उपयोग करने से पितर जल्द ही तृप्त हो जाते हैं पितृ पक्ष के दौरान आप प्रत्येक दिन स्नान के तुरंत बाद जल से ही पितरों को तर्पण करें इससे उनकी आत्माएं जल्द तृप्त होती हैं और आशीर्वाद देते हैं।
पितृ पक्ष में क्या न करें?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दिनों में लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए इससे पितर नाराज हो जाते हैं साथ ही पितृ पक्ष के दौरान अपने घर के बुजुर्गों और पितरों का अपमान न करें इससे पितर नाराज हो जाते हैं और पितृ दोष लग सकता है पितृ पक्ष के दौरान आप कोई भी धार्मिक या मांगलिक कार्य जैसे मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश, नामकरण आदि न करें मान्यता है कि पितृ पक्ष में शुभ कार्य करने से उनका शुभ फल नहीं मिलता है।