सर्दी ने सताया, किसानों को रुलाया !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देवभूमि उत्तराखंड में लंबे समय से बारिश और बर्फबारी न होने से चिंता बढ़ गई है। बारिश और बर्फबारी ना होने से किसानों और बागवानों की चिंता बढ़ रही है। इस समय निचले क्षेत्रों में गेहूं फसल के लिए बारिश और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब के पौधों के लिए बर्फबारी की जरूरत है। विशेषज्ञों के मुताबिक यदि जल्द बारिश नहीं होती है तो सूखे से गेहूं की फसल को भारी नुकसान होगा। इसके साथ ही सेब की पैदावार पर भी इसका असर पडेगा। बता दें कि राज्य में कुल कृषि क्षेत्र 6.21 लाख हेक्टेयर है। इसमें 2.92 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की पैदावार की जाती है। जबकि बागवानी फसलों के अधीन 2.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र है। मौजूदा समय में कुल कृषि क्षेत्रफल के 51 प्रतिशत में सिंचाई की सुविधा है। लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि भूमि अधिक होने के बावजूद भी सिंचाई की सुविधा मात्र 12 प्रतिशत क्षेत्र में है। पहाड़ों में खेती के लिए किसानों को बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं मौसम विभाग का कहना है कि आधी जनवरी बीत जाने के बाद भी बारिश-बर्फबारी देखने को नहीं मिल रही है। जिससे फसलों को नुकसान हो रहा है। वहीं मौसम विभाग के अनुसार अगले चार दिन तक मौसम में कोई बदलाव नहीं है। मैदानी इलाकों में शीत दिवस और घने कोहरे को लेकर चेतावनी जारी की गई है…वहीं राज्य सरकार ने फसलों पर मौसम के प्रभाव को लेकर जिलों से रिपोर्ट तलब की है इसके साथ ही सरकार कृषि-बागवानी और फसलों पर बारिश-बर्फबारी की कमी के असर का सर्वे कराने की भी तैयारी कर रही है। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने अधिकारियों को जिलावार रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए है।

सर्दी के मौसम में उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी के लिए लोग तरस गए हैं। पिछले ढ़ाई से तीन माह बीत जाने के बाद भी बारिश और बर्फबारी ना होने से चिंता बढ़ गई है। पूरा प्रदेश इस समय कोहरे की चादर से ढ़का है जिसका असर रेल और हवाई सेवाओं पर भी पड़ रहा है साथ ही वाहनों की रफ्तार को भी इस कोहरे ने धीमा कर दिया है। वहीं मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह ने शीत दिवस और घने कोहरे को लेकर चेतावनी जारी की है…उनका कहना है कि प्रदेश के कुछ जिलों में अगले चार दिन तक शीत दिवस जैसी स्थिति रहेगी। देहरादून, पौड़ी, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल, हरिद्वार जिले में 16 दिसंबर तक घना कोहरा छाने के साथ सर्द हवाएं चलने के आसार हैं…वहीं उन्होने अबतक बारिश और बर्फबारी ना होने से कृषि पर इसके बुरे प्रभाव का असर पड़ने की संभावना जताई है

आपको बता दें कि उत्तराखंड में लंबे समय से बारिश और बर्फबारी न होने से किसानों और बागवानों की चिंता बढ़ रही है। इस समय निचले क्षेत्रों में गेहूं फसल के लिए बारिश और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब के पौधों के लिए बर्फबारी की जरूरत है। विशेषज्ञों के मुताबिक यदि जल्द बारिश नहीं होती है तो सूखे से गेहूं की फसल को भारी नुकसान होगा। इसके साथ ही सेब की पैदावार पर भी इसका असर पडेगा। बता दें कि राज्य में कुल कृषि क्षेत्र 6.21 लाख हेक्टेयर है। इसमें 2.92 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की पैदावार की जाती है। जबकि बागवानी फसलों के अधीन 2.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र है। मौजूदा समय में कुल कृषि क्षेत्रफल के 51 प्रतिशत में सिंचाई की सुविधा है। लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि भूमि अधिक होने के बावजूद भी सिंचाई की सुविधा मात्र 12 प्रतिशत क्षेत्र में है। पहाड़ों में खेती के लिए किसानों को बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है।

 कुल मिलाकर मौसम में आए बदलाव से राज्य को भारी नुकसान हो रहा है। एक तरफ जहां बारिश और बर्फबारी ना होने से पर्यटकों में मायूसी है तो दूसरी ओर सूखी ठंड से बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। इतना ही नहीं लंबे समय से बारिश और बर्फबारी न होने से किसानों और बागवानों की चिंता भी बढ़ गई है। ऐसे में यदि जल्द बारिश और बर्फबारी नहीं हुई तो इसका असर गेंहू की फसल के साथ ही सेब पर भी पडेगा साथ ही बारिश ना होने से पानी की भी किल्लत आने वाले समय में हो सकती है

About Post Author