धधकते जंगल, सुलगते पहाड़

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देवभूमि उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग थमने का नाम नहीं ले रही है। आलम ये है कि ये आग जंगलों से अब कई गांवों तक भी फैल रही है। उत्तराखंड में करीब 110 से ज्यादा अलग-अलग आग की घटनाएं देखने को मिली हैं। जंगलों की इस आग की वजह से राज्य के करीब 1200 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलकर खाक हो चुके हैं। आग की वजह से राज्य भर में 5 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। वहीं आग बुझाने के लिए वन विभाग के साथ ही स्थानीय लोग भी आग बुझाने का प्रयास कर रहे हैं। पूरे पहाड़ में इस वक्त जंगलों में लगी आग का धुंवा ही धुंवा देखने को मिल रहा है। जंगलों की आग बुझाने में सेना के हेलिकॉप्टरों की भी मदद ली जा रही है। हेलिकॉप्टर के जरिए भी आग बुझाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा शासन स्तर पर लगातार बैठकों का दौर जारी है। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि “वनाग्नि पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार हर मोर्चे पर कार्य कर रही है। सेना की सहायता लेने के साथ ही अधिकारियों को भी ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर वनाग्नि पर नियंत्रण पाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा जो भी अराजक तत्व जंगलों में आग लगाकर उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई के भी निर्देश दिए गये हैं। वहीं राज्य में वनाग्नि के मुद्दे पर सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी के साथ ही राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है. जल्द कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे पर राज्यपाल से मुलाकात करेगा। सवाल ये है कि आखिर क्यों समय रहते सरकार ने पहले से तैयारी नहीं की..

उत्तराखंड के धधकते जंगलों की आग बिकराल होती जा रही है। आलम ये है कि अबतक 1200 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलकर राख हो गये हैं। वनाग्नि की बढ़ती घटनाओँ ने सरकार की टेंशन बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को भी ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर वनाग्नि पर नियंत्रण पाने के निर्देश दिए हैं। वहीं शासन स्तर पर भी लगातार बैठकों का दौर चल रहा है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में हुई बैठक में आगामी रणनीति पर मंथन किया गया बैठक में निर्णय लिया गया है। आग बुझाने के लिए पीएसी, होमगार्ड, पीआरडी के जवान भी तैनात किए जाएंगे। इसके अलावा युवक और महिला मंगल दलों का भी सहयोग लिया जाएगा। इसके साथ ही क्लाउड सीडिंग को लेकर भी आईआईटी रुड़की से बातचीत की जा रही है। वहीं जंगल में बार-बार आग लगाने वालों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। साथ ही वन संपदा को हुए नुकसान की भी भरपाई आग लगाने वालों से की जाएगी।

 

आपको बता दें कि उत्तराखंड का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 53 हजार 483 किमी  है, जिसमें से 86% पहाड़ी है और 65 से 70 प्रतिशत जंगल से ढका हुआ है…इसमें से करीब 1200 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ गये हैं। वहीं ये आग लगातार बढ़ते हुए अब कई स्थानों पर रिहायशी इलाकों तक पहुंच गई है। वहीं वनाग्नि से राज्य के पर्यटन कारोबार पर भी बुरा असर पड़ रहा है। वहीं अब इस मामले में राज्य में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने बढ़ती वनाग्नि की घटनाओं पर सरकार को घेरा है। साथ ही राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है. जल्द कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे पर राज्यपाल से मुलाकात भी करने जा रहा है।

 

कुल मिलाकर उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग बेकाबु होती जा रही है। हांलाकि सरकार एक सप्ताह में वनाग्नि की रोकथाम का दावा कर रही है लेकिन धरातल पर स्थिति काफी विकट होती जा रही है। वहीं तापमान बढ़ने और बारिश ना होने से जंगलों में लगी आग और बढ़ती जा रही है। जो किं चिंता की बात है। सवाल ये है कि आखिर क्यों सरकार ने समय रहते पूरी तैयारी नहीं की। आखिर क्यों शासन प्रशासन ने पहले ये तत्परता नहीं दिखाई, आखिर कब धधकते जंगलों से उत्तराखंडवासियों को राहत मिलेगी…

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