Ayodhya: कौन हैं बरकत अली…जिन्होंने किए रामलला के बाल स्वरूप के दर्शन

KNEWS DESK- अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। 22 जनवरी को पीएम मोदी समेत देश-विदेश के तमाम वीवीआईपी मेहमान अयोध्या आने वाले हैं। राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने के लिए लाखों लोग यहां पहुंचेंगे लेकिन आज हम आपको राम मंदिर से जुड़े एक ऐसे किरदार की कहानी बताने जा रहे हैं जिनका ये दावा है कि उन्होंने भगवान राम के बाल स्वरूप के दर्शन किए हैं।

साल 1949 की वो अंधेरी रात जब पांच लोग सरयू नदी के किनारे इकट्ठा हुए थे। ये थे गोरक्ष पीठ के महंत दिग्विजय नाथ, संत बाबा राघवदास, बाबा अभिराम दास, रामचंद्र परमहंस और गोरखपुर के संस्थापक हनुमान प्रसाद पोद्दार। कड़कड़ाती ठंड के बीच घने अंधेरे में इन लोगों ने सरयू में स्नान किया। पोद्दार अपने साथ राम के बचपन की एक मूर्ति लिए थे। सरयू में स्नान करने के बाद पाँचों लोगों ने नए कपड़े पहने, रामलला की मूर्ति की पूजा की और उसे बाँस की एक टोकरी में रखकर कपड़े से ढँक दिया। बाबा अभिराम दास ने टोकरी सिर पर उठा ली और पाँचों लोग आगे बढ़ चले। रामचंद्र परमहंस के हाथ में ताँबे का एक कलश था, जिसमें सरयू का पानी भरा हुआ था।

हनुमान गढ़ी से राम जन्मभूमि या बाबरी मसजिद क़रीब एक किलोमीटर दूर है। यह इलाक़ा पूरी तरह सुनसान था उन दिनों वहाँ कोई मंदिर नहीं था। इन लोगों के हाथ में लालटेन थी, जो उस काली रात में उन्हें रोशनी दिखा रही थी। मस्जिद में कांस्टेबल शेर सिंह ड्यूटी पर थे। वो अभिराम दास को जानते थे। उन्होंने ताला खोल दिया और सभी साधु अंदर दाख़िल हो गए लेकिन शेर सिंह की ड्यूटी 12:00 बजे खत्म होनी थी और 1:00 बजे से कांस्टेबल बरकत अली की ड्यूटी शुरू होनी थी लेकिन वो सो रहे थे और शेर सिंह ड्यूटी पर डटे रहे। इधर, साधु-संतों ने बाबरी मसजिद के फ़र्श को सरयू के पानी से धोया, लकड़ी का सिंहासन रखकर उस पर चाँदी का छोटा सिंहासन रखा। उस पर कपड़ा बिछा कर रामलला को रख दिया और मंत्रोच्चार के बीच प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई। पूजा-अर्चना शुरू हो गई।

रामलला की प्रतिमा रखे जाने और पूजा शुरू होने के बाद उन्होंने अपने साथी कॉस्टेबल बरकत अली को सोते से जगाया। बरकत अली जगमग रोशनी में सिंहासन, उस पर रखी राम मूर्ति और चल रही पूजा अर्चना से आश्चर्य में पड़ गए। पर तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी। वो ख़ुद सोए रहे, समय से ड्यूटी पर नहीं पहुँचे और उनकी ग़ैर-मौजूदगी में सबकुछ हो गया लिहाज़ा, नौकरी बचाने के लिए उन्होंने वही कहा, जो उन्हें कहने को कहा गया। उन्होंने बताया कि किस तरह यकायक रोशनी के बीच रामलला प्रकट हो गए। तभी से बरकत अली का यही बयान है कि उन्होंने रामलला के बाल स्वरूप के दर्शन किए हैं।

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