KNEWS DESK- व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच हुई बहस ने दुनिया की राजनीतिक समीकरणों में एक नया मोड़ ला दिया है। इस बहस से यदि किसी को सबसे ज्यादा लाभ हुआ है, तो वह रूस है। यूक्रेन के अमेरिकी दौरे का नतीजा देखते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस घटनाक्रम से खुश हो सकते हैं, क्योंकि इससे रूस को रणनीतिक लाभ मिल सकता है, खासकर अमेरिका और यूक्रेन के रिश्तों में होने वाली संभावित कटौती से।
ट्रंप और जेलेंस्की की बहस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका अब यूक्रेन के खिलाफ रूस की जंग में मदद देने में गंभीर सवाल उठाने वाला है। यह कोई नई बात नहीं है, क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान ही यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता राशि पर सवाल उठाए थे। ट्रंप के रुख को ध्यान में रखते हुए यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अमेरिका अब यूक्रेन को और सहायता देने में असहज हो सकता है।
अमेरिका द्वारा यूक्रेन को अब तक की गई सहायता राशि 114 बिलियन यूरो तक पहुंच चुकी है, जिसमें वित्तीय, सैन्य और मानवीय सहायता शामिल है। यह यूरोपीय देशों द्वारा यूक्रेन को दी गई 132 बिलियन यूरो की सामूहिक मदद से थोड़ा कम है। अगर अमेरिका इस मदद को बंद कर देता है, तो यूक्रेन के लिए रूस के खिलाफ लड़ाई लड़ना और भी कठिन हो जाएगा। इससे यह संभावना बढ़ जाती है कि रूस के दबाव के चलते यूक्रेन जल्दी ही समर्पण कर सकता है।
फरवरी में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के तीन साल पूरे होने के बाद, जब संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया, तो अमेरिका का रुख चौंकाने वाला था। प्रस्ताव में रूस से यूक्रेन से अपनी सेना वापस बुलाने, युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने और युद्ध के परिणामस्वरूप हुए नुकसान की जिम्मेदारी लेने का आह्वान किया गया था, लेकिन अमेरिका इन प्रस्तावों के प्रति सहमत नहीं दिखा। इससे साफ संकेत मिलता है कि अमेरिका की नीति में बदलाव आ रहा है, जो यूरोपिय देशों के रुख से अलग है।
ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई बहस से यह स्पष्ट हो जाता है कि अमेरिकी नीति में बदलाव हो सकता है, जो यूक्रेन के लिए चिंताजनक होगा। अगर अमेरिका अपनी मदद को कम करता है, तो रूस को यह रणनीतिक रूप से मजबूत कर देगा। इसके अलावा, NATO में दरार का मतलब यह होगा कि रूस को अपने आक्रमण के उद्देश्य को सफल बनाने में और भी आसानी हो सकती है। अगले कुछ महीनों में यह देखने लायक होगा कि अमेरिकी विदेश नीति और यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता में कितना बदलाव आता है और इसका रूस पर क्या असर होता है।
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