रेड ही क्यों होता है खतरे का सिग्नल? जानिए 40 साल पुराना इतिहास

KNEWS DESK- क्या आपने कभी सोचा है कि खतरे के निशान का रंग हमेशा लाल ही क्यों होता है। उदाहरण के लिए समझिए कि ट्रैफिक लाइट में STOP के लिए रेड लाइट का ही यूस किया जाता है लेकिन ऐसा क्यों होता है चलिए आपको बताते हैं-

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लाल रंग क्यों होता है खतरे का प्रतीक

खतरे के निशान के तौर पर लाल रंग का प्रयोग करने के पीछे एक खास तरह की साइंस काम करती है। दरअसल, लाल रंग को लेकर कहा जाता है कि इसमें हवा के अणुओं द्वारा सबसे कम प्रकीर्णन होता है, जिसकी वजह से ये रंग काफी दूर से भी दिखाई देता है। इसके साथ ही इस रंग में तरंगदैर्घ्य अन्य रंगों के मुकाबले सबसे ज्यादा होती है। यही वजह है कि कोहरा हो या बरसात लाल रंग हमें दूर से ही दिखाई दे जाता है। आपने देखा होगा जब कोई बिल्डिंग या टावर बहुत ऊंचा बनाया जाता है तो उसके सबसे ऊपरी हिस्से पर एक लाल रंग की लाइट लगा दी जाती है, ताकि हवाई जहाजों को उस बिल्डिंग की ऊंचाई का संकेत मिल सके और कोई दुर्घटना ना हो।

लाल रंग का 40 साल पुराना इतिहास

हंटर लैब में छपी एक खबर के मुताबिक, लाल रंग का इतिहास लगभग 40 हजार साल पुराना है। लाल रंग का उपयोग पहले शिकारी और कलाकार दीवारों पर पेंटिंग के लिए करते हैं। यही वजह है कि गुफाओं की दीवारों पर सदियों पुरानी जो पेंटिंग्स मिली हैं उन्हें लाल रंग से बनाया गया है। कहा जाता है कि पेलोथेटिक लोग अपने यहां मरने वाले परिजनों के शवों को लाल रंग के पाउडर से पेंट कर देते थे। वो ऐसा उनकी आत्मा को बुरी आत्माओं से बचाने के लिए करते थे।

शुभ कार्यों में भी किया जाता है लाल रंग का इस्तेमाल

लाल रंग सिर्फ खतरे के निशानी के तौर पर ही नहीं देखा जाता है। पश्चिमी सभ्यता में इसे प्रेम के रंग के तौर पर जाना जाता है। वहीं एशियन कल्चर में इस रंग को भाग्य और खुशी के तौर पर जाना जाता है। आपको ध्यान होगा कि जब भारत में शादियां होती हैं तो दुल्हन के लिए जो सुहागन का जोड़ा बनता है वो लाल रंग का होता है।

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