Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा की चांदनी रात का जानें धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व, ये हैं चंद्रमा की 16 कलाओं के नाम

KNEWS DESK – शरद पूर्णिमा का महत्त्व बहुत अधिक होता है| ये साल की अन्य पूर्णिमा से अलग और खास मानी जाती है| इस बार शरद पूर्णिमा का पर्व आज यानि 28 अक्टूबर 2023 को मनाया जाएगा| शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अन्य दिनों के मुकाबले ज्यादा चमकता है| इस दिन चांदनी सबसे तेज प्रकाश वाली होती है| माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत गिरता है| आपको शरद पूर्णिमा का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व बताते हैं|

Sharad Purnima 2023

शरद पूर्णिमा पर चांद 16 कलाओं से पूर्ण होता है, इस दिन चांद को अर्घ्य देने से आरोग्य की प्राप्ति होती है| शरद पूर्णिमा की चांदनी रात का न सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है| इस बार शरद पूर्णिमा का पर्व आज 28 अक्टूबर 2023 मनाई जाएगी|

धार्मिक महत्व

पुष्णामि चौषधी: सर्वा:

सोमो भूत्वा रसात्मक:।।

अर्थ :-  श्रीमद् भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा के चांद को लेकर कहा है कि ‘मैं ही रसमय चन्द्रमा के रूप में समस्त ओषधियों-(वनस्पतियों) को पुष्ट करता हूं|

धार्मिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा ही वो दिन है जब चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ धरती पर अमृत की वर्षा करता है| ये किरणें सेहत के लिए बेहद लाभदायी मानी गई हैं| कहते हैं रावण शरद पूर्णिमा की रात किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि पर ग्रहण करता था, इस प्रक्रिया से उसे पुनर्योवन शक्ति प्राप्त होती थी|

शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे दूध और चावल की खीर रखी जाती है और फिर इसका सेवन किया जाता है| मान्यता है ये खीर अमृत के समान हो जाती है| इससे रोग खत्म हो जाते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है| सफेद चीजों का संबंध चंद्रमा और शुक्र ग्रह से होता है, इसलिए इस दिन चावल-दूध की खीर चांदी के बर्तन में खाने से कुंडली में चंद्रमा और शुक्र ग्रह भी मजबूत होते हैं|

16 कलाओं के नाम

  1. अमृत
  2. मनदा (विचार)
  3. पुष्प (सौंदर्य)
  4. कांति (कीर्ति)
  5. प्रीति (प्रेम)
  6. पुष्टि (स्वस्थता)
  7. तुष्टि( इच्छापूर्ति)
  8. ज्योत्सना (प्रकाश)
  9. श्री (धन)
  10. पूर्णामृत (सुख)
  11. ध्रुति (विद्या)
  12. शाशनी (तेज)
  13. चंद्रिका (शांति)
  14. पूर्ण (पूर्णता अर्थात कर्मशीलता)
  15. अंगदा (स्थायित्व)
  16. भू (पृथ्वी के राज भोगने की क्षमता रखने वाला)

वैज्ञानिक महत्व 

  • शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है, इस दिन चंद्रमा की किरणों में विशेष प्रकार के लवण व विटामिन होते हैं| चांदनी से पित्त, प्यास, और दाह दूर हो जाते है| यही कारण है कि चंद्रमा की किरणें पृथ्वी पर स्वास्थ्य की बरसात करती है| वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चांदनी रात में खीर रखकर उसका सेवन करने विषाणु दूर रहते है|
  •  दूध में लैक्टिक अम्ल होता है| यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है और वहीं चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और भी आसान हो जाती है| इससे ऊर्जा शक्ति, इम्यूनिटी और पुनरयौवन की क्षमता बढ़ती है|
  • इस दिन खीर को चांदी के बर्तन में सेवन करने के पीछे भी वैज्ञानिक कारण है| रिसर्च के अनुसार चांदी के बर्तन में बैक्टीरिया रोधी गुण पाए जाते हैं जो हवा में हानिकारक बैक्टीरिया से भोज की सुरक्षा करते हैं|
  • शरद पूर्णिमा पर मौसम शीत ऋतु में परिवर्तित हो रहा होता है| ऐसे में इस दिन खीर खानें को माना जाता है कि अब ठंड का मौसम आ गया है इसलिए गर्म पदार्थों का सेवन करना शुरु कर दें| ऐसा करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है|
  • कहते हैं शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणें शीतल होती है, इनका प्रकाश तेज होता है| ऐसे में इस दिन खुली आंखों से 10-15 चांद को देखने पर आंखों से संबंधी परेशानियां दूर होती है| वहीं इस रात 10 से मध्यरात्रि 12 बजे के बीच कम वस्त्रों में घूमने वाले व्यक्ति को औषधियां और ऊर्जा मिलती है|

चंद्र ग्रहण

शरद पूर्णिमा पर कोजागर पूजा भी की जाती है, ये पूजा मां लक्ष्मी को समर्पित है लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा की रात 01.05 से 02.22 तक चंद्र ग्रहण का साया रहेगा| ऐेसे में कोजागरी व्रत रखने वालों को इसके बाद ही लक्ष्मी पूजा करना शुभ होगा|

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