एक नहीं बल्कि 2 दिन मनाया जायेंगा रक्षाबंधन…जानिए इसका कारण और शुभ मुहूर्त

KNEWS DESK   भाई बहन के प्यार का पर्व रक्षाबंधन सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।  इस  दिन  बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं. ये  त्योहार सदियों से भारतीय जनमानस का हिस्सा रहा है। साथ ही पवित्रता तथा स्नेह का सूचक यह पर्व भाई-बहन को पवित्र स्नेह के बंधन में बांधने का पवित्र एवं यादगार दिवस है। इस पर्व को भारत के हर हिस्सों में मनाया जाता है।रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है, जिसे आमतौर पर मनाते तो सिर्फ एक दिन हैं पर इस बार 2 दिन पड़ रहा है. इसका मुख्य कारण है भद्रा काल. क्योंकि  भद्रा काल में रक्षाबंधन मनाना थोड़ा अशुभ माना जा रहा है और भद्रा काल में शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है |

क्या होता हैं भद्रा काल

पुराणों के अनुसार,पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षसों को मारने के लिए, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया ने भद्रा को गर्दभ यानी कि गधे के मुंह और लंबी पूंछ और तीन पैरों से उत्पन्न किया था। जन्म लेते ही भद्रा यज्ञ में विघ्न डालने लगी और शुभ कार्यों में विघ्न डालने लगी और संसार को कष्ट देने लगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भद्रा सूर्यदेव और छाया की बेटी और  शनि देव की बहन हैं। अपने भाई की तरह भद्रा का स्वभाव भी क्रोधी बताया गया है। भद्रा के इस क्रोधी स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ब्रह्मा जी ने उन्हें लग्केन या पंचांग के एक प्रमुख भाग विष्टि करण में स्थान दिया है।

भद्रा की प्रवृत्ति विनाशकारी मानी जाती है। इसलिए भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य करने से बचने की सलाह दी जाती है। ज्योतिष की मानें तो भद्रा एक विशेष काल होता है और इसमें कोई भी शुभ काम नहीं करने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि भद्रा का साया होने पर यदि कोई भी कार्य किया जाता है तो वह अशुभ ही हो जाता है। इस दौरान शुभ कार्य  की मनाही होती है। सीधे शब्दों में भद्रा काल को बेहद अशुभ माना जाता है।

रक्षाबंधन कब है 30 और 31 अगस्त 2023

पंचांग के अनुसार सावन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से हो रही है। इसका समापन 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर होगा। 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि की शुरुआत से ही यानी सुबह 10 बजकर 58 मिनट से भद्रा शुरू हो जा रही है और रात 09 बजकर 01 मिनट तक है।

ऐसे में 30 अगस्त को भद्रा के कारण राखी बांधने का मुहूर्त दिन में नहीं है। इस दिन रात में 9 बजे के बाद राखी बांधने का मुहूर्त है। इसके अलावा 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक है और इस समय में भद्रा नहीं है। ऐसे में 31 अगस्त को सुबह 7 बजे तक बहनें भाई को राखी बांध सकती हैं। इस प्रकार से इस साल रक्षाबंधन 2 दिन 30 और 31 अगस्त को मनाया जा सकता है।

रक्षाबंधन को और किन नामों से जाना जाता है ?

भाई-बहन के बीच अटूट बंधन, स्नेह और विश्वास के प्रतीक रक्षाबंधन का यह त्योहार और भी नामों से जाना जाता है, जिनके बारे में कम ही लोगों को जानकारी होगी। दरअसल रक्षाबंधन को पश्चिम बंगाल में ‘गुरु महापूर्णिमा’, दक्षिण भारत में ‘नारियल पूर्णिमा’ और नेपाल में इसे ‘जनेऊ पूर्णिमा’ के नाम से जाना जाता है।

 

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