KNEWS DESK, सकट चौथ का व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इसे साल की सबसे बड़ी चौथ माना जाता है। इस दिन भगवान गणपति की पूजा करने से जीवन के सभी संकटों और कार्यों में आने वाले विघ्नों का नाश होता है।
इस साल सकट चौथ 17 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में तिलकुटा चौथ, वक्र-तुण्डि चतुर्थी और माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है। सकट चौथ पर विशेष सामग्री के बिना पूजा को अधूरा माना जाता है।
सकट चौथ पूजा सामग्री
- आवश्यक सामग्री:
गणेश जी की मूर्ति, लकड़ी की चौकी, पीला या लाल कपड़ा, जनेऊ, मेहंदी, सिंदूर, अक्षत, हल्दी, सुपारी, पान का पत्ता, लौंग, रोली, तिल, पान, आरती की किताब, 21 गांठ दूर्वा, गाय का घी, फूल माला, इलायची, गुलाल, गंगाजल, लाल फूल, मौली, इत्र, अबीर। - खास सामग्री:
तिल, दूर्वा, पीले या लाल फूल, और तिल से बना भोग।
सकट चौथ में तिल का भोग क्यों लगाया जाता है?
सकट चौथ पर व्रती महिलाएं भगवान गणेश को गुड़ और तिल से बने तिलकुटा का भोग अर्पित करती हैं। यह माना जाता है कि इससे भगवान गणपति प्रसन्न होकर उनके जीवन की सभी परेशानियां, आर्थिक संकट और मानसिक व शारीरिक कष्टों को दूर करते हैं। तिलकुटा को प्रसाद के रूप में चढ़ाना शुभ और अनिवार्य माना जाता है।
सकट चौथ 2025 मुहूर्त
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 17 जनवरी 2025 को सुबह 4:06 बजे।
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 18 जनवरी 2025 को सुबह 5:30 बजे।
- गणपति पूजा मुहूर्त: सुबह 7:15 से सुबह 11:12 तक।
- चंद्रोदय का समय: रात 9:09 बजे।
सकट चौथ व्रत का महत्व
सकट चौथ व्रत देवी सकट को समर्पित है। इस दिन माताएं अपने पुत्रों की भलाई और हर संकट से रक्षा की कामना के साथ व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस दिन गणपति जी की पूजा और व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उनके पुत्रों का जीवन सुखमय और संकटमुक्त होता है। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है।
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