KNEWS DESK- दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या पर मनाते है और इसके अगले दिन यानि कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है| गोवर्धन पूजा में घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है| इस त्योहार का खास सम्बन्ध श्रीकृष्ण से है| इस पर्व की खास रौनक ब्रज क्षेत्र में रहती है| चलिए आपको गोवर्धन पूजा की तिथि, मुहूर्त और महत्व के बारे में बताते हैं|
गोवर्धन पूजा की शुरुआत खुद भगवान श्री कृष्ण ने की थी| इस दिन प्रकृति के आधार पर्वत के रूप में गोवर्धन पर्वत की पूजा किए जाने की परंपरा है| साथ ही शुभ मुहूर्त में गायों की पूजा भी की जाती है|
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रपिपदा तिथि की शुरुआत 13 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर होगी और अगले दिन 14 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी|
♦ 14 नवंबर : गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – सुबह 06:43 – सुबह 08:52
♦ अवधि – 2 घंटे 09 मिनट
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा में गायों की पूजा की जाती है| हिन्दू धर्म में गायों को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है| इसमें 33 कोटि देवी-देवताओं का वास माना गया है| मान्यता है, जो लोग गोवर्धन पूजा के दिन गाय की उपासना करते हैं, उन्हें मां लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद मिलता है| मां लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं, उसी प्रकार गौमाता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं| गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही ये दिन बहुत जरुरी माना गया है|
गोवर्धन पर्वत की पूजा क्यों की जाती है?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रज में बहुत अधिक वर्षा होने के कारण पूरा गांव डूब की कगार पर आ गया था| तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया| फिर सभी बृजवासी, पशु-पक्षी अपनी जान बचाने के लिए उसके नीचे आ गए थे| गोवर्धन पर्वत और श्रीकृष्ण की कृपा से गांव वासी बड़े संकट से बच गए, इसीलिए इस दिन से ही गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परंपरा का आरंभ हुआ|