Knews Desk, नीट पीजी 2023 की काउंसलिंग में सभी वर्गों की कट ऑफ को कम करके जीरो परसेंटाइल कर दिया गया था। इस मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में एडमिशन के लिए जीरो परसेंटाइल कट ऑफ का फैसला काफी विवाद का विषय बन गया है, और कई डॉक्टर्स भी इस केंद्र सरकार के निर्णय को गलत मान रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने अपनी बेटी को एडमिशन प्राप्त करने के लिए नियमों में परिवर्तन किए हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर डॉक्टर्स की कुछ प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। जीरो परसेंटाइल कट ऑफ का मतलब क्या होता है और इसके माध्यम से किसे कैसा लाभ हो सकता है, चलिए हम आपको बताते हैं.
NEET PG में जीरो परसेंटाइल का मतलब
NEET PG में जीरो परसेंटाइल कट ऑफ करने का मतलब है कि नीट परीक्षा में हिस्सा लेने वाले सभी छात्र काउंसलिंग में भाग ले सकते हैं, अर्थात् उन्हें पोस्ट ग्रेजुएशन के कोर्स में एडमिशन के लिए एक अधिकृत रैंक की आवश्यकता नहीं होगी। हर साल NEET PG की काफी सीटें खाली रह जाती हैं, इससे अधिक से अधिक उम्मीदवारों को डॉक्टर बनने का मौका मिलेगा।
परसेंटाइल की गणना उस आंकड़े से की जाती है जिससे आपका रैंक ऊपर होता है। उदाहरणस्वरूप, यदि 100 लोगों में आपका रैंक 15 है, तो आपने 85 लोगों को पीछे छोड़ा है, और इस प्रकार आपका परसेंटाइल स्कोर 85 होगा।
इस दृष्टिकोण से, नीट पीजी में जीरो परसेंटाइल कटऑफ का मतलब है कि उस परीक्षा में भाग लेने वाले सभी छात्रों को दाखिला दिया जाएगा। इसका मतलब है कि कोई भी छात्र किसी अन्य छात्र के नीचे नहीं आएगा। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस फैसले से मेडिकल स्टूडेंट्स को सीधा लाभ होगा।
क्या जीरो मार्क्स लाने वाले भी डॉक्टर बनेंगे?
नीट पीजी में कट ऑफ को जीरो परसेंटाइल करने से अब प्रवेश परीक्षा में शून्य अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार भी काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे। उन्हें अपनी मांगी गई डिटेल्स और डॉक्यूमेंट्स जमा करके मेडिकल पीजी कोर्स में दाखिला मिल सकता है। इस कोर्स को पूरा करने के बाद, वे डॉक्टर बन सकते हैं।