KNEWS DESK – विराट कोहली का भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान के रूप में कार्यकाल भारतीय क्रिकेट के स्वर्णिम अध्यायों में से एक है। उनकी आक्रामक कप्तानी और मैदान पर जीत के जुनून ने न केवल भारतीय टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी प्रस्तुत किया। हालांकि, यह सफर आसान नहीं था। विशेष रूप से SENA देशों (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) में टेस्ट सीरीज जीतना किसी भी भारतीय कप्तान के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है।
SENA में ऐतिहासिक जीत और असफलताएं
2018-19 में विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसकी ही सरजमीं पर हराकर इतिहास रच दिया। यह भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण पल था, क्योंकि इससे पहले ऑस्ट्रेलिया में भारत कभी टेस्ट सीरीज नहीं जीत पाया था। कोहली और उनकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया के कठिन पिचों पर अपने कौशल और धैर्य का प्रदर्शन किया।
लेकिन इस जीत से पहले इंग्लैंड दौरे पर मिली 1-4 की हार ने टीम के आत्मविश्वास को झकझोर दिया। 2018 की गर्मियों में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई इस सीरीज में विराट ने अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन से तो सभी को प्रभावित किया, लेकिन टीम का कुल प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा।
एजबेस्टन टेस्ट: विराट का संघर्ष और मानसिक दबाव
एजबेस्टन में खेले गए पहले टेस्ट मैच में विराट कोहली ने अकेले दम पर भारतीय टीम को मुकाबले में बनाए रखा। उन्होंने पहली पारी में 149 और दूसरी पारी में 51 रनों की शानदार पारियां खेलीं। इसके बावजूद भारत 31 रनों से हार गया। यह हार विराट के लिए व्यक्तिगत रूप से काफी कठिन रही।
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बॉलीवुड अभिनेता वरुण धवन ने हाल ही में विराट के इस कठिन दौर के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि मैच के बाद विराट ने खुद को असफल मान लिया था और अपने प्रदर्शन को लेकर रो पड़े थे। अनुष्का शर्मा, विराट की पत्नी, ने वरुण को यह बताया कि विराट ने उस हार को पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारी मान लिया था, जबकि उन्होंने मैच में सर्वाधिक रन बनाए थे।
टीम के लिए जिम्मेदारी का भाव
विराट कोहली का यह रवैया दिखाता है कि वह सिर्फ एक कप्तान नहीं थे, बल्कि एक सच्चे लीडर थे। उन्होंने हमेशा टीम के प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली और खुद को हर असफलता के लिए जवाबदेह माना। इंग्लैंड के खिलाफ 2021 की सीरीज में कोहली ने टीम को 2-1 की बढ़त दिलाई थी, लेकिन कोविड-19 के कारण आखिरी मैच टाल दिया गया। जब वह मैच 2022 में खेला गया, तब तक विराट कप्तान नहीं थे, और भारत वह मैच हार गया।
विराट की विरासत
विराट कोहली ने भारतीय टीम को टेस्ट क्रिकेट में विश्व स्तरीय बनाया। उनकी फिटनेस संस्कृति, आक्रामक मानसिकता, और जीत के प्रति उनका जुनून आज भारतीय क्रिकेट टीम की पहचान बन चुका है। वह सिर्फ एक कप्तान नहीं, बल्कि एक प्रेरणा हैं, जिन्होंने न केवल मैदान पर बल्कि मानसिक मजबूती के मामले में भी खिलाड़ियों को बेहतर बनने के लिए प्रेरित किया।