यूपी सरकार के मंत्री ने शिवलिंग का किया अभिषेक…फिर धोए हाथ, वीडियो वायरल, विपक्ष ने साधा निशाना

KNEWS DESK… योगी सरकार के राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा इन दिनों सुर्खियों में हैं। उनकी एक वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें मंत्री शिवलिंग के अभिषेक के बाद शिवलिंग में ही हाथ धोते नजर आ रहे हैं। यह वीडियो कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर करके नाराजगी जताई। लोग इसका जमकर विरोध कर रहे हैं।

दरअसल आपको बता दें कि प्रदेश के राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा करीब सात दिन पहले बाराबंकी पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया और लोगों की फरियाद भी सुनी, लेकिन, इस दौरे के दौरान कुछ ऐसा भी सतीश चंद्र कर गए जो अब लोगों को नागवार गुजर रहा है। दरअसल वह लौटते वक्त क्षेत्र के प्रसिद्ध लोधेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने पहले तो विधि विधान से पूजा अर्चना की। बाद में उन्होंने शिवलिंग के बाजू में हाथ धो दिए। सतीश चंद्र शर्मा का मंदिर में शिवलिंग के पास हाथ धोते हुए वीडियो सामने आया है जो कि सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर लोग जमकर विरोध कर रहे हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि इस पर मंदिर के प्रमुख पुजारी ने कहा है कि उन्होंने शिवलिंग पर हाथ नहीं धोए बल्कि शिवलिंग के बाजू में हाथ धोए हैं, लेकिन, आम जनता इसका भी विरोध कर रही है। वहीं, लोगों का कहना है कि यह निंदनीय है। लोग उनकी संस्कृति और संस्कार से जोड़कर अलग-अलग तरह के कमेंट कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर पौराणिक है और स्थानीय लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। फिलहाल लोग इस वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं और तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं। फिलहाल इस वीडियो पर लगातार बवाल बढ़ता ही जा रहा है।

बता दें कि जब यूपी सरकार के मंत्री का यह वीडियो वायरल हुआ तो कांग्रेस ने निशाना साधते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सतीश शर्मा शिवालय में शिवलिंग के अर्घ्य से सटाकर ही हाथ धो रहे हैं। बगल में एक और मंत्री जितिन प्रसाद खड़े होकर टकटकी निगाह से देख रहे हैं। धर्म के नाम पर, देवी-देवताओं के नाम पर राजनीति करने वाले और कुर्सी पर बैठने वाले इन नीचों के पास इतनी सामान्य सी बुद्धि भी नहीं कि शिवलिंग के समीप हाथ नहीं धोया जाता। इन दुर्बुद्धि वालों के लिए हमारी आस्था, हमारा विश्वास, हमारे देवी-देवता केवल राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के साधन मात्र हैं। उससे अधिक ना इन्हें ईश्वर में आस्था है, ना ही जनता की आस्था में विश्वास।

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