ऑनलाइन गेमिंग कानून पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र से मांगा विस्तृत जवाब, 26 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

डिजिटल डेस्क- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से ऑनलाइन गेमिंग (रेगुलेशन एंड प्रोहिबिशन) एक्ट, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विस्तृत जवाब मांगा है। यह कानून वास्तविक धन वाले ऑनलाइन गेम्स पर प्रतिबंध लगाता है और उनसे जुड़ी बैंकिंग सेवाओं व विज्ञापनों को रोकता है। अदालत ने कहा कि वह इस मामले पर केंद्र से स्पष्ट रुख चाहती है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए आया। पीठ को बताया गया कि केंद्र सरकार ने याचिकाओं पर दाखिल अंतरिम प्रार्थनाओं का जवाब दे दिया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि सरकार मुख्य याचिका पर भी विस्तृत जवाब दाखिल करे। अदालत ने कहा कि जवाब की एक प्रति याचिकाकर्ताओं को उपलब्ध कराई जाए ताकि वे भी अपनी प्रतिक्रिया दाखिल कर सकें। अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर 2025 को होगी।

व्यवसाय ठप होने की दलील

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता सी. ए. सुंदरम ने कहा कि इस कानून के कारण कई कंपनियों का ऑनलाइन गेमिंग व्यवसाय पिछले एक महीने से पूरी तरह ठप पड़ा है। उन्होंने बताया कि इस कानून ने न केवल दांव वाले गेम बल्कि कौशल-आधारित गेम्स को भी प्रभावित किया है, जो कि न्यायालय द्वारा पहले से वैध माने गए हैं। इसी दौरान एक अन्य वकील ने अदालत को बताया कि उनका मुवक्किल एक शतरंज खिलाड़ी है, जो एक नया ऐप लॉन्च करने वाला था, लेकिन इस कानून के चलते उसकी आजीविका पर संकट आ गया है। बेंच ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “भारत एक अजीब देश है। जहां खिलाड़ी को अपनी रोजी-रोटी बचाने के लिए कोर्ट आना पड़ रहा है।” अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता की भागीदारी जरूरी है, क्योंकि वह इस उद्योग से सीधे जुड़ा है और उसकी आय का यही स्रोत है।

केंद्र को जवाब दाखिल करने के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह इस कानून की संवैधानिक वैधता पर विस्तृत जवाब पेश करे। अदालत ने कहा कि यह मामला केवल उद्योग से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) से भी जुड़ा है, जो हर नागरिक को वैध पेशा अपनाने या व्यापार करने का अधिकार देता है।

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