जब से अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप को लेकर खुलासा किया है, तभी शेयरों में भारी उतार-चढ़ाव का दौर जारी है. 24 जनवरी के बाद से अडानी ग्रुप के शेयर ऐसे टूटे कि कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग आधा हो गया है. लेकिन इस बीच कई ऐसी खबरें आई हैं, जिससे अडानी ग्रुप की कंपनियों को राहत मिल सकती है.
इस बीच स्टॉक एक्सचेंज एनएसई (NSE) ने अडानी ग्रुप को राहत भरी खबर दी. NSE ने अडानी पोर्ट्स (Adani Ports) और अंबुजा सीमेंट्स (Ambuja Cements) को एडिशनल सर्विलांस फ्रेमवर्क से बाहर कर दिया है. फरवरी की शुरुआत में NSE ने अडानी ग्रुप के तीन शेयरों को मॉनिटरिंग में रखा था.
अडानी पोर्ट्स और अंबुजा सीमेंट्स के अलावा अडानी एंटरप्राइजेज को NSE ने सर्विलांस में रखा था. शॉर्ट टर्म ASM फ्रेमवर्क वाले स्टॉक में ट्रेडिंग के समय इन्वेस्टर्स को इंट्राडे ट्रेंडिंग के लिए भी 100 फीसदी अपफ्रंट मार्जिन का भुगतान करना पड़ता है. NSE ने अंबुजा सीमेंट और अडानी पोर्ट्स को निगरानी से बाहर कर दिया है, जिससे शेयर में तेजी देखने को मिल सकती है. हालांकि अभी भी अडानी एंटरप्राइजेज पर NSE की नजर बनी हुई है.
हालांकि अडानी ग्रुप को लेकर मूडीज का थोड़ा मूड बदला है. लेकिन अभी भी उसकी मुश्किलें खत्म होती नजर नहीं आ रही हैं. रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अडानी ग्रुप की चार कंपनियों के आटलुक को ‘नेगेटिव’ रेटिंग दी है. मूडीज ने अपने बयान में कहा है कि अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड, अडानी ग्रीन एनर्जी रेस्ट्रिक्टेड ग्रुप, अडानी ट्रांसमिशन स्टेप-वन लिमिटेड और अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड के क्रेडिट आउटलुक को स्टेबल से निगेटिव करार दिया है.
मूडीज ने अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अडानी इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल, अडानी ग्रीन एनर्जी रेस्ट्रिक्टेड ग्रुप और अडानी ट्रांसमिशन रेस्ट्रिक्टेड ग्रुप 1 के आउटलुक स्टेबल बताया है.
एसबीआई कैप ट्रस्टी कंपनी ने BSE को बताया है कि अडानी ग्रुप की तीन कंपनियों अडानी पोर्ट्स, अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड और अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के शेयर उसके पास गिरवी रखे गए हैं. एसबीआई कैप ट्रस्टी देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक यूनिट है.
मंगलवार को अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के दिसंबर तिमाही के नतीजे आएंगे. तिमाही के नतीजे कंपनी के शेयर की चाल को प्रभावित कर सकते हैं.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अदानी ग्रुप पर फर्जी लेन-देन, शेयरों में हेरा-फेरी समेत कर्ज को लेकर कई आरोप लगाए गए हैं. इसमें 88 सवालों के जरिए कई दावे भी किए गए हैं. 24 जनवरी 2023 को इस रिपोर्ट के पब्लिश होने के बाद से अडानी ग्रुप को करीब 117 अरब डॉलर से ज्यादा का नुसकान हो चुका है.