जानिए कौन हैं अरविंद सिंह लवली, कांग्रेस ने बनाया दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष

KNEWS DESK…  लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष पद अरविंदर सिंह लवली को दिया गया है. अरविंदर सिंह लवली दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खेमे के नेता माने जाते हैं. अरविंदर सिंह लवली का राजनीतिक करियर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. शीला दीक्षित के जीवित रहते ही अरविंदर सिंह लवली पार्टी छोड़कर BJP में शामिल हो गए थे.

दरअसल आपको बता दें कि अरविंदर सिंह लवली का जन्म पंजाब में हुआ था. उनका जन्म 11 दिसंबर 1968 को पंजाब के लुधियाना में हुआ था। लवली ने अपनी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त की। डीयू में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने छात्र राजनीति में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. 1987 में अरविंदर सिंह लवली ने सक्रिय राजनीति की ओर अपने कदम बढ़ाये. लवली ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के महासचिव का पदभार संभाला. कांग्रेस के प्रति उनकी निरंतर निष्ठा के कारण उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कई जिम्मेदारियाँ सौंपी गईं।

2003 से 2008 के बीच लवली की नज़र शीला दीक्षित पर पड़ी

जानकारी के लिए बता दें कि 1998 में पहली बार कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए अरविंदर सिंह लवली को टिकट दिया. लवली ने पहले प्रयास में ही जीत हासिल कर ली. लवली गांधीनगर सीट से विधायक बने। उस समय लवली दिल्ली विधानसभा के सबसे युवा विधायक थे। 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में भी लवली ने गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे. इसी दौरान वह शीला दीक्षित की नजर में भी आये. शीला दीक्षित ने भी उन्हें अपने मंत्रिमंडल में जगह दी. शीला दीक्षित सरकार में उन्हें पर्यटन मंत्रालय मिला. इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में वह AAP के प्रकाश जारवाल से बुरी तरह हार गए.

जब कांग्रेस को धोखा दिया गया

बता दें कि 2013 के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद लवली ने कुछ कठिन फैसले लिए. लवली ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होना सही समझा. लवली 2017 एमसीडी चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुए हैं. लवली के बीजेपी में शामिल होने से शीला दीक्षित भी काफी नाराज थीं. उन्होंने लवली के इस कदम को देशद्रोही बताया था. उन्होंने कहा था, ”लवली को बीजेपी से बहुत नफरत थी. मुझे आश्चर्य है कि वह बीजेपी में शामिल हो गये.

गौरबतल हो कि अरविंदर सिंह लवली 10 महीने बाद ही घर लौट आए थे. उन्होंने फिर से कांग्रेस का हाथ थाम लिया. 10 महीने में ही उन्हें समझ आ गया कि बीजेपी में उनकी दाल नहीं गलने वाली. अरविंदर सिंह लवली ने बीजेपी में शामिल होकर कांग्रेस को धोखा जरूर दिया था, लेकिन कांग्रेस आलाकमान उनकी कांग्रेस के प्रति वफादारी को खारिज नहीं कर सका. पिछले कुछ सालों में दिल्ली में कांग्रेस की पकड़ कमजोर हुई है. वहीं, अरविंदर सिंह लवली का दिल्ली कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ अच्छा तालमेल है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लवली पर भरोसा जताकर कांग्रेस ने सही फैसला लिया है या नहीं, ये तो चुनाव के नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा.

 

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