छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी केजरीवाल की अलग राह, क्या होगा गठबंधन का भविष्य?

KNEWS DESK- मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में केजरीवाल सरकार ने गठबंधन से अलग अपनी राह बना ली है। ऐसे में अब सवाल ये खड़ा हो रहा है कि गठबंधन का भविष्य क्या होगा?

विपक्षी दलों की आपसी खींचतान

लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरने के लिए इंडिया गठबंधन तैयार किया है, जिसमें 26 दल साथ आए हैं लेकिन 2024 की रणनीति बनाने की बात तो दूर है, अभी तक इन दलों की आपसी खींचतान ही खत्म नहीं हो पाई है। इंडिया गठबंधन में शामिल प्रमुख दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच अभी दिल्ली को लेकर उठा विवाद शांत भी नहीं हुआ कि अब केजरीवाल छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कुछ ऐसा करने जा रहे हैं, जो कांग्रेस को चुभने वाला है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और ‘आप’ नेता व पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान शनिवार यानि आज छत्तीसगढ़ पहुंच रहे हैं. दोनों का रायपुर में कार्यक्रम हैं, जहां वे पार्टी कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देंगे। रैली में विधानसभा चुनावों को लेकर छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए गारंटी कार्ड भी दिया जाना है। कार्यक्रम में प्रदेश भर के ‘आप’ पदाधिकारी और कार्यकर्ता जुटेंगे।

20 अगस्त को मध्यप्रदेश के रीवा में ‘आप’ का कार्यक्रम

एक दिन बाद 20 अगस्त को दोनों नेताओं का मध्य प्रदेश के रीवा में भी कार्यक्रम है। रीवा में केजरीवाल और भगवंत मान रैली को संबोधित करने के साथ ही आम आदमी पार्टी की गारंटी की घोषणा कर सकते हैं. ‘आप’ के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव पंकज सिंह ने बुधवार (16 अगस्त) को बताया था कि पार्टी मध्य प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है और मध्य प्रदेश में भी पार्टी मजबूत स्थिति में है. बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और सरकार भी बनाई थी. हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में हुई बगावत के बाद कांग्रेस को सरकार गंवानी पड़ी थी. इस बार पार्टी सत्ता में वापसी कर बीजेपी से हिसाब बराबर करने के मूड में है।

सिर्फ विधानसभा चुनाव ही नहीं लोकसभा के हिसाब से भी दोनों राज्य अहम हैं। दोनों राज्यों में कुल मिलाकर लोकसभा की 40 सीटें आती हैं. अब आम आदमी पार्टी के इन दोनों राज्यों में उतरने के बाद कांग्रेस का बेचैन होना स्वाभाविक है। कांग्रेस की ये चिंता यूं ही नहीं है. आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं. अभी तक आम आदमी पार्टी जहां भी बढ़ी है, वहां कांग्रेस को ही नुकसान हुआ है।

आम आदमी ने चुनावी राजनीति में पहली सफलता दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार को हटाकर ही चखी थी. इसके बाद ‘आप’ ने पंजाब से कांग्रेस का पत्ता साफ किया. यही नहीं, बीते साल गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उतरने से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ था और पार्टी का प्रदर्शन बेहद ही खराब रहा था।

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