मलिन बस्तियों का पेंच, राजनीति का बड़ा खेल !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में निकाय चुनाव से पहले राज्य में अतिक्रमण के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। दअरसल नगर निगम देहरादून ने नदी नालों के किनारे हुए अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके तहत निगम की भूमि पर वर्ष 2016 के बाद किए गए कब्जों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया गया है। एनजीटी के निर्देश पर निगम की ओर से रिस्पना नदी के किनारे 27 बस्तियों का सर्वे कर 560 अतिक्रमण चिह्नित किए गए है। बता दें कि वर्ष 2016 के बाद किए गए निर्माण को चिह्नित किया गया। मलिन बस्ती के संबंध में अध्यादेश लागू किए जाने के बाद नियमानुसार वर्ष 2016 के बाद के निर्माण अवैध माने गए हैं। जिनके खिलाफ अब ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। निकाय चुनाव से पहले अतिक्रमण के खिलाफ होने जा रही कार्रवाई पर कांग्रेस ने सवाल खडे किए हैं उनका कहना है कि भाजपा सरकार के राज में ही पहले लोगों को बसाया गया.. अब उन्हें उजाड़ने की कार्रवाई की जा रही है। इस भय से भाजपा निकाय चुनाव का लाभ लेने की कोशिश कर रही हैं। आपको बता दें कि उत्तराखंड में सौ नगर निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर को खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इन प्रशासकों का कार्यकाल भी जून में समाप्त हो रहा है…इससे पहले निकाय चुनाव की तैयारियां चल रही है। हांलाकि विपक्ष सरकार पर एक बार फिर निकाय चुनाव को टालने का आरोप भी लगा रहा है.. विपक्ष का कहना है कि आधा मई बीत गया है लेकिन कोई तैयारी सरकार की नहीं है। वहीं निकाय चुनाव की वोटर लिस्ट में भी तमाम खामियां देखने को मिल रही है ऐसे में निकाय चुनाव समय पर होंगे इस पर संशय है सवाल ये है कि क्या सरकार समय पर निकाय चुनाव कराएगी, आखिर क्यों हर बार चुनाव से पहले बस्तियों के अतिक्रमण का मुद्दा गरमाता है..

देवभूमि उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के बाद अब राज्य में निकाय चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। तमाम राजनीतिक दल निकाय के चुनावी दंगल को जीतने की रणनीति पर मंथन कर रहा है। इसी बीच राज्य निर्वाचन आयोग की वोटर लिस्ट पर सवाल उठ रहे हैं। दअरसल कांग्रेस का आरोप है कि साजिश के तहत वोटर लिस्ट से उन मतदाताओं और क्षेत्रों के नाम मतदाता सूची से गायब हैं जो कांग्रेस समर्थक हैं या जहां कांग्रेस की मजबूत पकड़ है। वहीं भाजपा में भी राज्य निर्वाचन आयोग से मुलाकात कर मतदाता सूची में सुधार की मांग की है। वोटर लिस्ट में आ रही खामियों को देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव की वोटर लिस्ट में संशोधन की समय सीमा को बढ़ा दिया है।

वहीं राज्य में निकाय चुनाव से पहले राज्य में अतिक्रमण के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। दअरसल नगर निगम देहरादून ने नदी नालों के किनारे हुए अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके तहत निगम की भूमि पर वर्ष 2016 के बाद किए गए कब्जों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया गया है। एनजीटी के निर्देश पर निगम की ओर से रिस्पना नदी के किनारे 27 बस्तियों का सर्वे कर 560 अतिक्रमण चिह्नित किए गए है। बता दें कि वर्ष 2016 के बाद किए गए निर्माण को चिह्नित किया गया। मलिन बस्ती के संबंध में अध्यादेश लागू किए जाने के बाद नियमानुसार वर्ष 2016 के बाद के निर्माण अवैध माने गए हैं। जिनके खिलाफ अब ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। निकाय चुनाव से पहले अतिक्रमण के खिलाफ होने जा रही कार्रवाई पर कांग्रेस ने सवाल खडे किए हैं उनका कहना है कि भाजपा सरकार के राज में ही पहले लोगों को बसाया गया.. अब उन्हें उजाड़ने की कार्रवाई की जा रही है। इस भय से भाजपा निकाय चुनाव का लाभ लेने की कोशिश कर रही हैं।

कुल मिलाकर उत्तराखंड में निकाय चुनाव से पहले राज्य में अतिक्रमण के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। एक ओर जहां सरकार के सामने निकाय चुनाव कराने की चुनौती है तो वही दूसरी ओर चुनाव से पहले प्रशासन अतिक्रमण के खिलाफ एक बार फिर कार्रवाई करने जा रहा है सवाल ये है कि क्या धामी सरकार समय पर निकाय चुनाव कराएगी, आखिर क्यों हर बार चुनाव से पहले बस्तियों के अतिक्रमण का मुद्दा गरमाता है.

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