दिल्ली सेवा बिल के वोटिंग के समय राज्यसभा में नहीं पहुंचे जयंत चौधरी, पार्टी नेता ने दी सफाई

KNEWS DESK… लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी दिल्ली सेवा बिल कल यानी 7 अगस्त को पारित हो गया. राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पर बहस के दौरान पक्ष-विपक्ष की जोरदार बहस देखने को मिली. दोनों पक्षों की बहस के बाद शाम को दिल्ली सेवा बिल पर वोटिंग हुई. विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. और सपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल वोटिंग से दूर रही. राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी वोटिंग के दौरान सदन में मौजूद नहीं रहे. विपक्षी खेमे की एकजुटता के मौके पर जयंत चौधरी की गैरमौजूदगी ने कई सवालों को जन्म दिया.

दरअसल आपको बता दें कि दिल्ली सेवा बिल विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के लिए अग्निपरीक्षा की घड़ी थी. ऐसे में एक प्रमुख सहयोगी सदस्य की सदन में गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बन गई. सवाल उठने के बाद रालोद की तरफ से सफाई आई है. व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने वीडियो जारी कर राज्यसभा सांसद और रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के सदन में अनुपस्थित रहने पर बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी परिवार में मेडिकल इमरजेंसी के कारण दिल्ली लोक सेवा बिल पर चर्चा का हिस्सा नहीं बन सके. उन्होंने कहा कि रालोद की टीम राज्यसभा में हो रही चर्चा पर नजर बनाए हुई थी. रोहित अग्रवाल ने साफ किया कि वोटिंग के दौरान कांटे की टक्कर होने पर जयंत चौधरी राज्यसभा जरूर जाते. उन्होंने कहा कि रालोद दिल्ली सेवा बिल का विरोध करती है. संसद से दिल्ली सेवा बिल पास होना लोकतंत्र की हत्या है. उन्होंने कहा कि 131 बनाम 102 के वोट में बहुत बड़ा अंतर है. रालोद का एक वोट मिल जाने से खास फर्क नहीं होने वाला था. उन्होंने कहा कि रालोद की जनहित के मुद्दों पर लड़ाई जारी रहेगी. रोहित अग्रवाल ने दावा किया कि रालोद विपक्षी खेमे के साथ है. मुंबई की अगली विपक्षी बैठक में रालोद प्रमुख मौजूद रहेंगे.

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विधेयक कोबताया संघीय ढांचे के लिए खतरे की घंटी-सीएम भगवंत मान

गौरतलब हो कि सत्तारुढ़ भाजपा के नेतृत्व वाली NDA गठबंधन को बिल के पक्ष में 131 वोट मिले. विपक्ष को महज 102 वोट से संतोष करना पड़ा. बिल पारित होने पर आम आदमी पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. सीएम अरविंद केजरीवाल ने लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया. केजरीवाल ने भाजपा  सरकार पर दिल्ली के लोगों की पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया. पंजाब सीएम मान ने भी विधेयक को संघीय ढांचे के लिए खतरे की घंटी बताया.

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