G-20 शिखर सम्मेलन : जो बाइडेन ने सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का भारत के लिए किया समर्थन

KNEWS DESK… देश की राजधानी दिल्ली में दो दिवसीय यानी 9 और 10 सितंबर को G-20 शिखर सम्मेलन आगाज हो रहा है. जिसमें देश-विदेश के राष्ट्राध्यक्ष एवं शीर्ष नेतागण भाग ले रहे हैं. G-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन भारत आए हुए हैं. इसी दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात करते हुए एक नया रिकॉर्ड बना दिया है. इसी बीच राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत को संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में समर्थन किया.

दरअसल आपको बता दें कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ इस मुलाकात के दौरान कई अहम मसलों पर चर्चा हुई. जिसमें संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्‍थायी सदस्‍यता का मसले को भी शामिल किया गया. जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्‍यता का समर्थन किया है. विदेश नीति के जानकारों का मानना है कि यह भारत के लिए एक सुनहरा अवसर है.

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नेहरु ने चीन के लिए 1950 में  ठुराया था ऑफर

जानकारी के लिए बता दें कि भारत को अगस्त 1950 में अमेरिका की तरफ से सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सदस्‍यता का ऑफर दिया गया था. लेकिन तत्‍कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने इस ऑफर को ठुकरा दिया था. विशेषज्ञों का मानना है कि नेहरु ने चीन को प्राथमिकता दी. जिसकी वजह से चीन आज सुरक्षा परिषद का स्‍थायी सदस्‍य बना हुआ है.

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भारत की मदद के मकसद से अमेरिका ने  दिया था ऑफर

गौरबतल हो कि अमेरिका ने भारत की मदद के मकसद से 1950 में सुरक्षा परिषद की सदस्‍यता का ऑफर दिया था. उस समय नेहरु ने चिट्ठी लिखकर बताया था कि अमेरिका की ओर से सुझाव दिया गया है कि भारत को सुरक्षा परिषद में चीन की जगह लेनी चाहिए. जिसके बाद नेहरु ने कहा था कि भारत निश्चित रूप से इसे स्वीकार नहीं कर सकता है. नेहरु का मानना था कि अगर यह प्रस्‍ताव स्‍वीकार कर लिया जाता है तो फिर चीन के साथ मतभेद होना निश्चित है. ऐसे में चीन जैसे महान देश का सुरक्षा परिषद में शामिल न होना बहुत अनुचित होगा.

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