KNEWS DESK… ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जहां पर हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु ने कहा कि वाराणसी जिलाल जज के समक्ष आवेदन में कहा कि गुंबद के नीचे एक संरचना है. सच्चाई जानने के लिए ASI सर्वे कराया जाना चाहिए। वहां एक मंदिर है, इसका प्रमाण वैज्ञानिक सर्वेक्षण से ही प्राप्त होगा.
दरअसल आपको बता दें कि भारत सरकार की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में अश्वासन दिया गया है कि ASI सर्वे से ज्ञानवापी परिसर को कोई नुकसान नहीं होगा. जब मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने ASGI शशि प्रकाश सिंह से पूछा कि आप ड्रिल नहीं करेंगे तो क्या करेंगे? इस पर ASGI ने कहा कि वे जांच करेंगे और फोटो लेंगे, संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. जांच कैसे होगी यह तो टीम ही बता सकती है, लेकिन सर्वे बिना किसी नुकसान के पूरा हो जाएगा.
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कोर्ट को पहले दूसरे पक्ष की आपत्ति पर मुकदमे का बिंदु तय करना चाहिए
जानकारी के लिए बता दें कि मस्जिद पक्ष के वरिष्ठ वकील SFA नकवी ने कहा था कि सर्वे के लिए दिए गए आवेदन में तीनों गुंबदों के नीचे मंदिर का ढांचा है. क्षतिग्रस्त होने पर इमारत ढह जाएगी. मस्जिद पक्ष के वकील ने यह भी कहा कि जिला न्यायाधीश ने आदेश पारित करते समय न्यायिक विवेक का प्रयोग नहीं किया. खुदाई के कारण इमारत को ढहाने से रोकने के लिए ASI के पास कोई तंत्र नहीं है. खुदाई होते ही 1669 की इमारत को क्षतिग्रस्त होने से नहीं रोक पाएंगे. नकवी ने आगे कहा कि हम ये नहीं कह रहे कि कोर्ट आदेश नहीं दे सकता. ASI पर भी कोई शक नहीं. लेकिन खुदाई से इमारत को नुकसान पहुंचने की आशंका पर विचार नहीं किया गया. बिना सबूत के मुकदमा दायर किया गया, कोर्ट को पहले दूसरे पक्ष की आपत्ति पर मुकदमे का बिंदु तय करना चाहिए. यदि आवश्यक हो तो साक्ष्य भी एकत्र किये जायें. बहस का मुद्दा तय नहीं है, सर्वे का आदेश दिया गया है. अगर मुकदमा स्वीकार हो गया तो ढांचा खुद तय हो जाएगा, सर्वे की जरूरत नहीं है. मामले का फैसला सबूतों के आधार पर होना चाहिए.
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